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Shani Transit 2020: न्याय के देवता शनि देव 142 दिन बाद 29 सितंबर को बदलेंगे चाल, मिलने वाली है बड़ी राहत

By गुणातीत ओझा | Updated: September 28, 2020 19:45 IST

न्याय के देवता शनि देव 29 सितंबर से अपनी चाल बदलने जा रहे हैं। इससे पहले 23 सितंबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन हुआ था। सितंबर का महीना कई ग्रहों के राशि परिवर्तन और चाल बदलने के लिहाज से काफी अहम रहा।

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ठळक मुद्देन्याय के देवता शनि देव 29 सितंबर से अपनी चाल बदलने जा रहे हैं।इससे पहले 23 सितंबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन हुआ था।सितंबर का महीना कई ग्रहों के राशि परिवर्तन और चाल बदलने के लिहाज से काफी अहम रहा।

न्याय के देवता शनि देव 29 सितंबर से अपनी चाल बदलने जा रहे हैं। इससे पहले 23 सितंबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन हुआ था। सितंबर का महीना कई ग्रहों के राशि परिवर्तन और चाल बदलने के लिहाज से काफी अहम रहा। अब सितंबर महीने की समाप्ति पर क्रूर ग्रह माने जाने वाले शनि वक्री से मार्गी होने जा रहे हैं। ज्योतिष में शनि के राशि परिवर्तन और मार्गी या वक्री होने का विशेष महत्व होता है क्योंकि शनि की चाल में यह बदलाव कई राशियों के जातकों के लिए आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यह परिवर्तन करियर, रुपए-पैसे और पारिवारिक स्थिति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह माने गए हैं। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढ़ाई वर्षों का समय लेते हैं। 

शनि 142 दिन बाद यानी 29 सितंबर को सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर वक्री से मार्गी हो रहे हैं। शनि के मार्गी होने से जिस राशि पर भी शनि के प्रभाव थे, वे काफी हद तक कम हो जाएंगे। आपको बता दें कि शनि 11 मई 2020 को वक्री हुए थे। इससे पहले 24 जनवरी को शनि ने धनु से मकर राशि में गोचर किया था। शनि का मार्गी होना एक बड़ी घटना है।  शनि के मार्गी होने से मिथुन, कन्या, कर्क, धनु और वृश्चिक राशि वालों का फायदा होगा। शनि ढ़ाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं। इससे शनि की साढ़े साती और ढ़ैया शुरू होती है। ज्योतिषशास्त्र में व्रकी का अर्थ उल्टा और मार्गी का अर्थ सीधी चाल चलना। वक्री अवस्था में ज्यादतर ग्रह नकारात्मक प्रभाव डालते हैं जबकि मार्गी होने पर जातकों के जीवन पर इसका प्रभाव सकारात्मक रूप से पड़ता है। ऐसे में 29 सितंबर से शनि की मार्गी चाल से कई जातकों के जीवन में चल रही बाधाएं कम होंगी और उन्हें किस्मत का साथ मिलना आरंभ हो जाएगा। 

शनि के इस परिवर्तन से कुंभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण शुरू हो गया है वहीं धनु और मकर राशि में पहले से ही शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा था, वह भी  इस साल के अंत तक समाप्त हो जाएगा। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि  शनि के वक्री होने से जहां ढ़ैय्या और साढ़ेसाती जिन लोगों पर थी, उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा था, अब शनि इन लोगों को राहत देगा। मेष राशि वालों को राहत मिलेगी। इस राशि पर अष्टम की ढैय्या थी, जो अब समाप्त होगी। मिथुन राशि वालों को पारिवारिक समस्याओं में उलझना पड़ सकता है। धनु राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव अभी देखने को मिलेगा। इस साल के अंत तक ये प्रभाव भी कम हो जाएगा।  मकरऔर कुंभ वालों पर भी शनि की साढ़े साती शुरू होगी। कुंडली देखकर ही व्यक्तिगत तौर पर जातक के बारे में शनि के अशुभ और शुभ प्रभाव के बारे में बताया जा सकता है। 

शनि की साढ़ेसाती- धनु, मकर और कुंभ राशिशनि इस समय मकर राशि में उल्टी चाल से चल रहे हैं। लेकिन 29 सितंबर 2020 के बाद मकर राशि में रहते हुए सीधी चाल यानी मार्गी होकर भ्रमण करेंगे। शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है। शनि की साढ़ेसाती तीन चरणों में होती है। पहला, दूसरा और तीसरा। धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण है, मकर राशि पर दूसरा चरण और कुंभ राशि पर पहला चरण चल रहा है। शनि की साढ़ेसाती चलने पर कई तरह की परेशानियां आने लगती है। समय पर काम पूरा नहीं होता है। बीमारियां घेरे रहती हैं और आर्थिक संकट बना रहता है।

शनि की ढैय्या- मिथुन और तुला राशि ज्योतिष गणना में शनि की ढैय्या भी को अशुभ माना जाता है। मौजूदा समय में मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। जन्म राशि से चौथे और आठवें स्थान पर गोचर करते हुए शनि की ढैया रहती है, जो ढ़ाई वर्ष तक चलती है यह भी जातक के लिए अति कष्टकारी रहती है।

टॅग्स :ज्योतिष शास्त्रज्योतिषीय संकेतशनि देव
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