Sawan Purnima 2023: कब है अधिकमास पूर्णिमा और सावन पूर्णिमा? रक्षाबंधन यहां करें कन्फ्यूजन दूर
By रुस्तम राणा | Updated: July 24, 2023 11:59 IST2023-07-24T11:59:27+5:302023-07-24T11:59:27+5:30
अधिकमास के चलते इस बार सावन में दो पूर्णिमा तिथि पड़ेंगी। सावन पूर्णिमा 30 अगस्त को है तो अधिकमास की पूर्णिमा 1 अगस्त को होगी।

Sawan Purnima 2023: कब है अधिकमास पूर्णिमा और सावन पूर्णिमा? रक्षाबंधन यहां करें कन्फ्यूजन दूर
Sawan Purnima 2023: श्रावण मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को सावनपूर्णिमा या श्रावणी पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान किया जाता है और व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही दान-पुण्य के लिए भी यह दिन बेहद भाग्यशाली होता है। इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है। हालांकि अधिकमास के चलते इस बार सावन में दो पूर्णिमा तिथि पड़ेंगी। क्योंकि 18 जुलाई से अधिकमास प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में सावन पूर्णिमा 30 अगस्त को है तो अधिकमास की पूर्णिमा 1 अगस्त को होगी।
श्रावण पूर्णिमा 2023 तिथि
सावन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से
सावन पूर्णिमा तिथि समाप्त - 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर
अधिक मास की श्रावण पूर्णिमा 2023
श्रावण अधिकमास की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 1 अगस्त मंगलवार को सुबह 03:51 बजे
श्रावण अधिकमास की पूर्णिमा तिथि समाप्त - देर रात 12 बजकर 01 मिनट तक (2 अगस्त)
किस दिन है रक्षाबंधन का त्योहार?
हर साल श्रावण पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं। श्रावण पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित मुहूर्त में रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त बुधवार और 31 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा।
30 अगस्त को रहेगी भद्रा
30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा तिथि में सुबह से ही भद्रा (सुबह 10:58 बजे से रात 09:01 बजे तक) लग जाएगी, जो रात तक है। भद्रा के समापन के बाद राखी बांध सकते हैं। जबकि 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक श्रावण पूर्णिमा तिथि है तो आप इस समय तक राखी बांध सकते हैं। भद्रा के कारण रक्षाबंधन दो दिन हो गया है।
श्रावणी पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान करना पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव जी, विष्णु जी, महालक्ष्मी और भगवान हनुमान को रक्षा सूत्र अर्पित करना चाहिए।