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Sawan 2020: यहां होता है भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन, जानें विश्व के एकमात्र अर्धनारीश्वर शिवलिंग के बारे में

By गुणातीत ओझा | Updated: July 27, 2020 15:05 IST

Ardhanarishwar Shivling: भगवान शिव और मां पार्वती के अनेक मंदिरों के बारे में आपने सुना होगा और उनका दर्शन भी किया होगा। आइये आज आपको बताते हैं भगवान शिव के एक ऐसे इकलौते मंदिर के बारे में जहां शिव और मां पार्वती मिलन होता है।

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ठळक मुद्देकांगड़ा के इस मंदिर में अनोखा शिवलिंग है। इस शिव मंदिर को काठगढ़ का शिव मंदिर भी कहा जाता है।यह शिवलिंग दो भागों में विभाजित है। छोटे भाग को मां पार्वती तथा ऊंचे भाग को भगवान शिव के रूप में माना जाता है।

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में अनेक मंदिर हैं। हिमाचल की तरफ श्रद्धालुओं का आकर्षण हमेशा देखनो को मिलता है, इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। यहां कई प्राचीन धार्मिक स्थल हैं। अब बात करते हैं हिमाचल के कांगड़ा जिले की जहां भगवान शिव और मां पार्वती का अनूठा मिलन देखने को मिलता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव और मां पार्वती मिलन करते हैं। कांगड़ा के इस मंदिर में अनोखा शिवलिंग है। इस शिव मंदिर को काठगढ़ का शिव मंदिर भी कहा जाता है।

अर्धनारीश्वर शिवलिंग का स्वरूप

दो भागों में विभाजित शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर शिवलिंग के दोनों भाग मिल जाते हैं। यहां का शिवलिंग काले-भूरे रंग का है। आदिकाल से स्वयंभू प्रकट सात फुट से अधिक ऊंचा, छह फुट तीन इंच की परिधि में भूरे रंग के रेतीले पाषाण रूप में यह शिवलिंग ब्यास व छौंछ खड्ड के संगम के नजदीक टीले पर विराजमान है।

दो भागों में विभाजित है शिवलिंग

यह शिवलिंग दो भागों में विभाजित है। छोटे भाग को मां पार्वती तथा ऊंचे भाग को भगवान शिव के रूप में माना जाता है। मान्यता के अनुसार मां पार्वती और भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर के मध्य का हिस्सा नक्षत्रों के अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का मिलन हो जाता है। शिव रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7-8 फीट है और पार्वती के रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 5-6 फीट है।

ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार घटती-बढ़ती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअ है। मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में फिर से एक रूप धारण कर लेता है।

शिव पुराण के अनुसार

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार ब्रह्मा व विष्णु भगवान के मध्य बड़प्पन को लेकर युद्ध हुआ था। भगवान शिव इस युद्ध को देख रहे थे। दोनों के युद्ध को शांत करने के लिए भगवान शिव महाग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इसी महाग्नि तुल्य स्तंभ को काठगढ़ स्थित महादेव का विराजमान शिवलिंग माना जाता है। इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।

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