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सर्व पितृ अमावस्याः कैसे दी जाती है पितरों को विदाई? जानें दिन, तारीख और समय

By गुणातीत ओझा | Updated: September 15, 2020 18:14 IST

श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है। उस दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर, गुरुवार को है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है।

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ठळक मुद्देश्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है।उस दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर, गुरुवार को है।

श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है। उस दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर, गुरुवार को है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस समय पितरों का दिन पितृपक्ष चल रहा है। पितृपक्ष 17 सितंबर तक रहेगा। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। यह पितरों की विदाई का दिन होता है। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 

17 सितंबर गुरुवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या कहलाती है।यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है।  पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है  और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए।  दरअसल 16 सितंबर को शाम 7 बजे से अमावस्या लगेगी और 17 सितंबर को शाम चार बजे तक रहेगी। इसलिए 17 सितंबर को ही सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मुत्यु की तिथि याद ना हो। एक तरह से सभी भूले बिसरों को इस याद कर उनका तर्पण किया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार जो वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम पर उचित विधि से दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन  भी भोजन बनाकर इसे कौवे, गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितर देव ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों द्वारा दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। इस दिन अपने पूर्वजों के निमित्त के योग्य विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा आप गरीबों को भी अन्न का दान कर सकते हैं। पितरों के निमित्त श्राद्ध 11:36 बजे से 12:24 बजे में ही करना चाहिए।

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