Sankashti Chaturthi 2020: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
By गुणातीत ओझा | Published: September 5, 2020 06:20 AM2020-09-05T06:20:15+5:302020-09-05T06:20:15+5:30
संकष्टी चतुर्थी हर महीने में पड़ती है, लेकिन आश्विन माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का महत्व विशेष होता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश भक्तों पर मेहरबान होते हैं।
संकष्टी चतुर्थी 2020 (Sankashti Chaturthi 2020 Date & Time): आज शनिवार 5 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) है। आपको बता दें कि संकष्टी चतुर्थी हर महीने में पड़ती है, लेकिन आश्विन माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का महत्व विशेष होता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश भक्तों पर मेहरबान होते हैं। इस दिन लोग गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू धर्म में गणेश भगवान को बुद्धि, विवेक का स्वामी माना गया है। इसके अलावा गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यही वजह है कि लोग किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना पहले करते हैं। मान्यता है कि जो जातक सच्चे ह्रदय से संकष्टी चतुर्थी के व्रत को करता है उसपर गणेश भगवान का आशीर्वाद परस्पर बना रहता है।
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ: 5 सितंबर को शाम 4 बजकर 38 मिनट से चतुर्थी तिथि लग जाएगी।
चतुर्थी तिथि का समापन: 6 सितंबर को रात्रि 07 बजकर 06 मिनट पर चतुर्थी तिथि का लोप हो जाएगा।
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय: 08 बजकर 38 मिनट।
संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें, आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें। गणेश भगवान गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन है अनिवार्य
हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान चिव के छोटे पुत्र गणेश जी को प्रथम देव माना जाता है। यही वजह है कि हर मांगलिक कार्य से पहले उनकी आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सकारात्मकता बरकरार रहती है। घर के सदस्यों में सद्बुद्धि आती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन अनिवार्य माना जाता है।