Sankashti Chaturthi 2020: मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज है। हर माह के दोनों पक्षों में पड़ने वाले चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का बहुत महत्व है। दरअसल, हर मास में दो चतुर्थी तिथि आती है। इसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखकर श्रीगणेश पूजा करने का विधान है।
मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरे विधि-विधान से करने से श्रीगणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का भी अंत होता है। वैसे भी किसी भी मंगल कार्य को करने से पहले श्रीगणेश का नाम लिया जाता चाहिए। आपके जीवन में अगर विपदा आ रही है और आपका कोई काम नहीं बन रहा है, तो संकष्टी चतुर्थी का व्रत जरूर करें। इससे लाभ होता है।
Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन साधक को सूर्योदय के पहले उठना चाहिए। इस दिन स्नान आदि कर हल्के पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूजास्थल पर आसन गृहण करें। श्रीगणेश की प्रतिमा को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
इसके बाद श्रीगणेश की चंदन, कुमकुम, गुलाल, अबीर, हल्दी फूल आदि से पूजा करे। साथ ही उन्हे दुर्वा, मोदक, लड्डू, फल, पंचमेवा और पंचामृत भी चढ़ाएं। इसके बाद दीपक जलाएं और धूपबत्ती दिखाएं। इस बात का भी ख्याल रखें कि पूजा के समय श्रीगणेश के मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में हो।