सुहागिन महिलाएं भूल से भी ना पहनें ऐसा मंगलसूत्र, कम हो सकती है पति की आयु

By गुलनीत कौर | Published: December 21, 2018 07:41 AM2018-12-21T07:41:21+5:302018-12-21T07:41:21+5:30

एक वैवाहिक महिला को अपना मंगलसूत्र कभी नहीं उतारना चाहिए। कभी किसी दूसरी महिला को अपना मंगलसूत्र पहनने को ना दें। ना ही किसी का मंगलसूत्र खुद पहनें।

Rules and significance of sindoor and mangalsutra in Hindu shastras | सुहागिन महिलाएं भूल से भी ना पहनें ऐसा मंगलसूत्र, कम हो सकती है पति की आयु

सुहागिन महिलाएं भूल से भी ना पहनें ऐसा मंगलसूत्र, कम हो सकती है पति की आयु

सिन्दूर और मंगलसूत्र हिन्दू महिलाओं के लिए सुहाग की निशानी मानी जाती है। हर सुहागिन महिला अपनी मांग में सिन्दूर लगाती है और गले में मंगलसूत्र पहनती है। हिन्दुओं में यह रिवाज के तहत किया जाता है। शहरों में भले ही महिलाएं इसे पूरी तरह से फॉलो न करें, लेकिन आज भी गांव और छोटे कस्बों में आपको सुहागिन महिलाओं की मांग में लंबा सिन्दूर और गले में काले-पीले मोतियों का मंगलसूत्र दिखाई देगा।

पुराणों एवं शास्त्रों में सिन्दूर और मंगलसूत्र से जुड़े कई नियम एवं मान्यताएं दर्ज हैं। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार विवाहित महिला अपनी मांग में जितना लंबा सिन्दूर लगाती है, उसके पति के उम्र उतनी ही लंबी होती है। सिन्दूर के अलावा मंगलसूत्र की बात करें तो यह दोनों के विवाहित जीवन को बुरी नजर से बचाए रखता है। मंगलसूत्र के काले मोती दोनों की बुरी नज़रों से रक्षा करते हैं। आइए सिन्दूर और मंगलसूत्र के कुछ खास नियमों के बारे में जानते हैं।

शास्त्रों में सिन्दूर से जुड़े नियम:

शास्त्रों के अनुसार एक विवाहित महिला को कभी भी किसी दूसरी विवाहित महिला का सिन्दूर मांगकर नहीं लगाना चाहिए। ना ही अपना सिन्दूर किसी अन्य महिला को इस्तेमाल करने के लिए देना चाहिए। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खलल पैदा होता है।

यदि सिन्दूर लगाते समय वह नाक पर गिर जाए, तो उसे कभी पोंछना नहीं चाहिए। ऐसा करना अपशकुन माना जाता है। शास्त्रों में सिन्दूर को पति की आयु से जोड़ा जाता है। इसके साथ किया गया कोई भी नकारात्मक कार्य पति को क्षति पहुचाने के समान माना जाता है।

शास्त्रों में मंगलसूत्र से जुड़े नियम:

मंगलसूत्र में हमेशा काले और पीले, दोनों मोती होने चाहिए। आजकल फैशन की आड़ में महिलाएं अलग-अलग डिजाईन का मंगलसूत्र बनवाती हैं। किन्तु डिजाईन कैसा भी हो, यह मंगलसूत्र काले और पीले मोतियों से ही बना होना चाहिए। यह मोती वैवाहिक जीवन की रक्षा का प्रतीक माने जाते हैं। 

एक वैवाहिक महिला को अपना मंगलसूत्र कभी नहीं उतारना चाहिए। कभी किसी दूसरी महिला को अपना मंगलसूत्र पहनने को ना दें। ना ही किसी का मंगलसूत्र खुद पहनें। ऐसा कोई भी कार्य करना अपशकुन माना जाता है।

खण्डित मंगलसूत्र ना पहनें: यदि मंगलसूत्र के मोती टूट रहे हों, मंगलसूत्र के लॉकेट का डिजाईन खराब हो गया हो तो उसे बदलवा लें। कई महिलाओं वर्षों तक एक ही मंगलसूत्र पहने रहती हैं। यदि वह कहीं से टूट रहा हो तो ध्यान नहीं देतीं। मगर ऐसा ना करें। समय से नया और सही मंगलसूत्र पहनें।

मंगलसूत्र की अगर पॉलिश भी कहीं से खराब हो रही हो तो उसे दोबारा सही करवा लें या अपने लिए नया मंगलसूत्र बनवा लें। पुराना मंगलसूत्र यदि आप उतारें तो उसे ध्यान से किसी जगह पर रक् लें। या फिर बहते जल में प्रवाहित कर दें। कूड़ेदान में फेंककर मंगलसूत्र का अनादर ना करें।

Web Title: Rules and significance of sindoor and mangalsutra in Hindu shastras

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