Ravan Shani Dev Ki Katha: पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जब रावण और मंदोदरी के पुत्र मेघनाद का जन्म होने वाला था। तब रावण चाहता था कि उसका पुत्र अजेय हो, जिसे कोई भी देवी-देवता हरा न सके, वह दीर्घायु हो, उसकी मृत्यु हजारों वर्षों बाद ही हो। उसका पुत्र परम तेजस्वी, पराक्रमी, कुशल यौद्धा, ज्ञानी हो। रावण ज्योतिष का जानकार भी था। इसी वजह से मेघनाद के जन्म के समय उसने ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहों और नक्षत्रों को ऐसी स्थिति में बने रहने का आदेश दिया कि उसके पुत्र में वह सभी गुण आ जाए जो वह चाहता है।
रावण का प्रभाव इतना था कि सभी ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवता उससे डरते थे। इसी वजह से मेघनाद के जन्म के समय सभी ग्रह वैसी ही राशियों में स्थित हो गए जैसा रावण चाहता था। रावण ये बात जानता था कि शनि देव न्यायाधीश हैं और आयु के देवता हैं। शनि इतनी आसानी से रावण की बात नहीं मानेंगे। रावण ने बल प्रयोग करते हुए शनि को भी ऐसी स्थिति में रखा, जिससे मेघनाद की आयु वृद्धि हो सके।
शनि न्यायाधीश हैं, इस वजह से रावण की मनचाही स्थिति में रहते हुए भी उन्होंने ठीक मेघनाद के जन्म के समय अपनी नजर तिरछी कर ली थी। शनि की तिरछी नजरों के कारण ही मेघनाद अल्पायु हो गया। जब रावण को इस बात का अहसास हुआ तो वह शनि पर अत्यंत क्रोधित हो गया। क्रोधवश रावण ने शनिदेव के पैरों पर गदा से प्रहार कर दिया। इसी प्रहार की वजह से शनि देव लंगड़े हो गए। तब से शनि की चाल धीमी हो गई।
शनि के अलावा शेष सभी ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण मेघनाद बहुत पराक्रमी और शक्तिशाली था। रावण पुत्र ने देवराज इंद्र को भी परास्त कर दिया था। इसी वजह से मेघनाद का एक नाम इंद्रजीत भी पड़ा। शनि की तिरछी नजरों के कारण मेघनाद अल्पायु हो गया था। श्रीराम और रावण के बीच हुए युद्ध में लक्ष्मण के हाथों मेघनाद मारा गया।