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Ratha Saptami 2024 Date: रथ सप्तमी 16 फरवरी को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: February 13, 2024 15:43 IST

Ratha Saptami 2024: रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे।

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Ratha Saptami 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है और इस साल रथ सप्तमी 16 फरवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह शुभ दिन भगवान सूर्य की जयंती का दिन है। इस कारण रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इसीलिए इस सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। 

रथ सप्तमी तिथि 2024 

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रही है। य​ह तिथि 16 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर रथ सप्तमी 16 फरवरी शुक्रवार को मनाई जाएगी।

रथ सप्तमी 2024 मुहूर्त

16 फरवरी को रथ सप्तमी के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 17 मिनट से सुबह 06 बजकर 59 मिनट तक है। रथ सप्तमी के दिन आपको स्नान के लिए 1 घंटा 42 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा।

रथ सप्तमी की पूजा

रथ सप्तमी के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें। नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। व्रत का संकल्प लें। अब सूर्य देवता की पूजा करें। सूर्य नारायण को तांबे के लोटे से जल में कुमकुम शक्कर लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। अर्घ्य दिए जल को अपने ऊपर छिड़कें। भगवान सूर्य के बारह नामों का जाप तीन बार करें। शाम के समय व्रत खोलें।

रथ सप्तमी का महत्व

ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूवर्क पूजा और व्रत रखा जाए तो आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि इसे आरोग्य सप्तमी या पुत्र सप्तमी भी कहा जाता है। इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसको रथ सप्तमी भी कहते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो उनके लिए उनके लिए भी ये व्रत काफी फलदायी है।

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