Rang Panchami 2025 Date: आज नहीं, बल्कि इस दिन होगी देवताओं की होली, उड़ेंगे गुलाल, अबीर, होली का होगा विधिवत समापन
By रुस्तम राणा | Updated: March 14, 2025 05:35 IST2025-03-14T05:35:15+5:302025-03-14T05:35:15+5:30
हिन्दू पंचांग के अनुसार, होली के पांच दिन बाद यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी उत्सव 19 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा।

Rang Panchami 2025 Date: आज नहीं, बल्कि इस दिन होगी देवताओं की होली, उड़ेंगे गुलाल, अबीर, होली का होगा विधिवत समापन
Rang Panchami 2025: रंग पंचमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। मान्यता है कि इस दिन देवता भी होली खेलते हैं। वहीं रंग पंचमी के दिन ही श्रीकृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, होली के पांच दिन बाद यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी उत्सव 19 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। कई स्थानों पर रंग पंचमी का विशेष महत्व माना गया है। मथुरा और वृन्दावन के कुछ मन्दिरों में रंग पंचमी के दिन ही होलि के उत्सव का समापन माना जाता है।
रंग पंचमी 2025
रंग पंचमी तिथि - 19 मार्च, 2024
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि प्रारंभ- 18 मार्च को रात्रि 10 बजकर 09 मिनट से
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त- 20 मार्च को रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर
रंग पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - दोपहर 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 38 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 54 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक।
रंग पंचमी का महत्व
हिन्दू धर्म में हर एक व्रत, पर्व और एवं त्योहार का कोई न कोई धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व होता है। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन ही भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन देवतागण धरती पर आकर रंग, गुलाल या अबीर से होली खेलते हैं। कहते हैं कि इस दिन गुलाल-अबीर को जब हवा में उड़ाया जाता है और जिस भी व्यक्ति पर यह गुलाल आकर गिरता है, उसे देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन गुलाल, अबीर आदि देवताओं को अर्पित करने पर कुंडली में मौजूद दोष समाप्त हो सकते हैं।
रंग पंचमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब कामदेव में भगवान शिव की तपस्या में विघ्न डाला, तब शिव जी ने क्रोधित होकर उन्हें भस्म कर दिया था। तब देवी रति और अन्य देवताओं के विनती करने पर शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवन कर दिया। जिस कारण सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने रंगोत्सव मनाया। माना जाता है कि इसके बाद से ही रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।