Ramadan Alvida Jumma 2019: क्या है अलविदा जुमा की नमाज, रोजेदारों को क्यों रहता है बेसब्री से इंतजार
By उस्मान | Published: May 31, 2019 11:38 AM2019-05-31T11:38:44+5:302019-05-31T12:22:49+5:30
माना जाता है की अलविदा की नमाज में साफ दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है।
रमजान का पाक महीना रुखसत होने को है। आज रमजान उल मुबारक महीने का आखिरी जुमा है यानी अलविदा जुमा है। रोजेदारों के लिए इस जुमे की काफी अहमियत होती है। जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में तैयारियां पूरी चुकी हैं। रोजेदारों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है।
माना जाता है की अलविदा की नमाज में साफ दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है। अब ईद आने में महज चार से पांच दिन बाकी रह गए हैं। अगर चांद 4 मई को दिख गया तो भारत में ईद का त्यौहार 5 मई को, नहीं तो 6 मई को मनाया जाएगा। चलिए जानते हैं अलविदा जुमा का मतलब और उसका महत्व क्या होता है।
अलविदा जुमा क्या है?
अलविदा का मतलब है किसी चीज के रुखसत होने का यानी रमजान हमसे रुखसत हो रहा है। इसलिए इस मौके पर जुमे में अल्लाह से खास दुआ की जाती है कि आने वाला रमजान हम सब को नसीब हो। रमजान के महीने में आखिरी जुमा (शुक्रवार) को ही अलविदा जुमा कहा जाता है। अलविदा जुमे के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाते है। अलविदा जुमा रमजान माह के तीसरे अशरे (आखिरी 10 दिन) में पड़ता है। यह अफजल जुमा होता है। इससे जहन्नम (दोजक) से निजात मिलती है।
अलविदा जुमा का महत्त्व
अल्लाह ने इस जुमे को सबसे अफजल करार दिया है। हदीस शरीफ में इस जुमे को सय्यदुल अय्याम कहा गया है। माहे रमजान से मुहब्बत करने वाले कुछ लोग अलविदा के दिन गमगीन हो जाते हैं। यह आखिरी असरा है, जिसमें एक ऐसी रात होती है, जिसे तलाशने पर हजारों महीने की इबादत का लाभ एक साथ मिलता है। यूं तो जुमे की नमाज पूरे साल ही खास होती है पर रमजान का आखिरी जुमा अलविदा सबसे खास होता है। अलविदा की नमाज में साफ दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है।
रमजान का महत्त्व
रमजान उल मुबारक महीना हमसे रूखसत हो रहा है। रहमतो, बरकतों वाला यह महीना हमें आपस में प्यार, मोहब्बत और अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलने की सीख देता है। रमजान के आखिरी अशरे में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मागनी चाहिए।
अल्लाह अपने हर बंदों पर रहम फरमाता है। हदीसे पाक के मुताबिक रजमान-उल-मुबारक के मुकद्दस महीना में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। यह इंसानों के लिए बड़ी सआदत की बात है। शैतानों को कैद कर दिया जाता है। माहे रमजान में भी गुनाहों से वह बाज नहीं रह पाता।