Ram Mandir Ayodhya: प्रभु राम का स्मरण करने के लिए पढ़ें रामचरितमानस की इन पांच चौपाइयों को, मिलेगी मन की शांति, होगी सभी इच्छित कामनाओं की पूर्ति

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 21, 2024 12:28 PM2024-01-21T12:28:50+5:302024-01-21T13:22:48+5:30

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस का पाठ करने से मनुष्य को शांति और प्रभु राम की कृपा मिलती है।

Ram Mandir Ayodhya: To remember Lord Ram, read these five verses of Ramcharit Manas, you will get peace of mind, all your wishes will be fulfilled | Ram Mandir Ayodhya: प्रभु राम का स्मरण करने के लिए पढ़ें रामचरितमानस की इन पांच चौपाइयों को, मिलेगी मन की शांति, होगी सभी इच्छित कामनाओं की पूर्ति

Ram Mandir Ayodhya: प्रभु राम का स्मरण करने के लिए पढ़ें रामचरितमानस की इन पांच चौपाइयों को, मिलेगी मन की शांति, होगी सभी इच्छित कामनाओं की पूर्ति

Highlightsतुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस के पाठ से मनुष्य को शांति और प्रभु राम की कृपा मिलती हैरामचरितमानस में राम के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन का चिंतन-मनन किया गया हैरामचरितमानस के सिद्ध चौपाइयों के पाठ से मनुष्य को शांति और प्रभु राम की कृपा मिलती है

Ram Mandir Ayodhya: प्रभु राम के अन्य सेवक गोस्वामी तुलसीदास ने १६वीं शताब्दि में रामचरितमानस की रचना की थी। अवधी में लिखित इस महाकाव्य के कारण राम के मर्यादा, उनकी कर्तव्यनिष्ठा और त्याग की भावना जन-जन तक पहुंची। रामचरित मानस मनुष्य की न केवल अध्यातिमिक बल्कि सामाजिक और व्यवाहरिक जीवनशैली का मार्गदर्शन करती है।

रामचरितमानस में राम के व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राजनैतिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहद बारिकी से रेखांकित किया है। इस ग्रंथ से हमें संबंधों की गरिमा, उनकी मर्यादा, समाज में किस तरह से आचरण करना है और अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य की लक्ष्मण रेखा का बखान भी बखूबी करती है।

चूंकि 22 जनवरी को 500 वर्षों के बाद अवध में एकबार फिर राम का भव्य मंदिर स्थापित हो रहा है। इस कारण से रामचरित मानस का पाठ सभी के श्रेयस्कर है। इस कारण से यहां हम रामचरितमानस की उन पांच चौपाइयों का जिक्र कर रहे हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि उनके पाठ से मनुष्य को शांति और प्रभु राम की कृपा मिलती है। कहा जात है कि जिस भी घर में रामचरितमानस का पाठ होता है, वहां कभी कोई कमी नहीं रहती और सुख एवं संपदा का वास होगा है।

रोग एवं उपद्रवों की शांति हेतु
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।

मनोकामना पूर्ति एवं बाधा निवारण हेतु
'कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।

आजीविका की प्राप्ति या वृद्धि हेतु
 बिस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत असहोई।।

भय व संशय के नाश के लिए
रामकथा सुन्दर कर तारी।
संशय बिहग उड़व निहारी।।

श्रीराम की शरण प्राप्ति हेतु
सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।

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