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Raksha Bandhan 2024: 19 अगस्त को इतने समय तक रहेगी भद्रा, जानें राखी बांधने का सबसे शुभ समय कब है

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 14, 2024 20:55 IST

Raksha Bandhan 2024: इस साल राखी का त्यौहार 19 अगस्त को है लेकिन बहुत सारे लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर राखी बांधने का शुभ मुहुर्त क्या है। दरअसल श्रावण शुक्ल चतुर्दशी यानी कि 18 अगस्त को आधी रात श्रावण शुक्ल चतुर्दशी भद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो रही है।

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ठळक मुद्देRaksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन का त्यौहार इस साल 19 अगस्त को मनाया जाएगाRaksha Bandhan 2024: 18 अगस्त को आधी रात श्रावण शुक्ल चतुर्दशी भद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो रही हैRaksha Bandhan 2024: 19 अगस्त को 1 बजकर 24 मिनट के बाद ही राखी बांधना शुभ होगा

Raksha Bandhan 2024: भाई और बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित रक्षाबंधन का त्यौहार इस साल 19 अगस्त को मनाया जाएगा। ये त्यौहार हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसी देश है जहां भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते के लिए इतना सुंदर त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन बहने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। बदले में भाई उन्हें पूरी उम्र तक सुरक्षा का वादा करता है।

कब है राखी बांधने का शुभ मुहुर्त

इस साल राखी का त्यौहार 19 अगस्त को है लेकिन बहुत सारे लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर राखी बांधने का शुभ मुहुर्त क्या है। दरअसल श्रावण शुक्ल चतुर्दशी यानी कि 18 अगस्त को आधी रात श्रावण शुक्ल चतुर्दशी भद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो रही है। भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता। भद्रा का समापन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सोमवार, 19 अगस्त 2024 को दोपहर में 1 बजकर 24 मिनट पर होगा। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि 19 अगस्त को 1 बजकर 24 मिनट के बाद ही राखी बांधना शुभ होगा क्योंकि इस समय तक भद्रा का साया समाप्त हो जाएगा। बहनें भद्रा की समाप्ति के बाद भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।

क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन

रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। लेकिन सबसे मशहूर कहानी भगवान कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी है। भगवान कृष्ण द्रौपदी को अपनी बहन मानते थे। एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली कट गई और उसमें से खून बहने लगा। द्रौपदी ने जैसे ही ये देखा वह घबरा गईं। उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी के आंचल से एक टुकड़ा फाड़ा और भगवन कृष्ण के घाव पर पट्टी बांध दी। कहते हैं साड़ी के एक टुकड़े की कीमत भगवान ने द्रौपदी की अस्मिता की रक्षा करके चुकाई। जब कौरवों की भरी सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र किया जा रहा था तब भगवान कृष्ण ने उनकी साड़ी की लंबाई इतनी ज्यादा कर दी कि खींचते-खींचते दुशासन की हालत खराब हो गई। तब भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

टॅग्स :रक्षाबन्धनअध्यात्महिंदू त्योहारभगवान कृष्ण
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