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Raksha Bandhan 2023: भाई की कलाई से कब उतार देनी चाहिए राखी? जानिए इससे जुड़े नियम

By अंजली चौहान | Published: August 28, 2023 6:42 PM

हिंदू कैलेंडर जिसे पंचांग कहा जाता है, के अनुसार रक्षा बंधन श्रावण के शुभ महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

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Raksha Bandhan 2023: रक्षा बंधन का शुभ त्योहार भाई-बहन के पावित्र रिश्ते को दर्शाता है। यह दिन भाई और बहन के बीच साझा किए जाने वाले खूबसूरत बंधन का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।

इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, बहन अपने भाई के हाथ की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है। भाई की कलाई पर बांधा हुआ धागा उस वादे का प्रतीक है जो भाई अपनी बहन से जीवन भर उसकी रक्षा करने के लिए करता है।

हिंदू धर्म में रक्षा बंधन का त्योहार मुहूर्त देख कर मनाया जाता है। राखी बांधने से लेकर पूजा-पाठ को लेकर सभी नियम शास्त्रों में बताए गए हैं जिनका पालन करने से आपके भाई और आप पर कोई भला नहीं आती है। राखी बांधने से लेकर इसे उतारने के भी नियम है जो हर बहन को पता होना चाहिए। 

कब उतारनी चाहिए राखी?

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, राखी कब तक पहननी है, इसका कोई निश्चित समय नहीं है। यह भाई के ऊपर निर्भर करता है कि वह राखी अपनी कलाई पर कब तक बांधे रहता है।

हालांकि, रक्षा बंधन के 24 घंटे के बाद आप राखी को अपने हाथ पर उतार सकते हैं। राखी को पूरे समय नहीं पहनना चाहिए। अगर आप इसे पहनते हैं तो आपको दोष लग सकता है।

दरअसल, राखी के कुछ दिनों बाद पितृपक्ष शुरू हो जाता है और ऐसे में अगर आप राखी पहनते हैं तो वह अशुद्ध हो जाती है। ऐसे में आपको 24 घंटों के बाद राखी उतार देनी चाहिए। 

इस तरह करें राखी विसर्जन 

राखी को खोलने के बाद इसे इधर-उधर न फेंके बल्कि इसका विसर्जन कर देना चाहिए। विसर्जन का अर्थ है कि आप उस रक्षा बंधन को किसी पेड़ पर बांध दें या फिर उस राखी को सहेज कर रखें।

अगर कलाई में राखी टूट जाए तो?

अगर राखी उतारते समय खंडित हो जाए या टूट जाए तो उसे हाथों में नहीं रखना चाहिए। उस राखी को उतार कर संभाल कर भी न रखें। खंडित राखी को किसी पेड़ के नीचे रख देना चाहिए या जल में अर्पित कर देना चाहिए। ऐसा करते समय अपने हाथ में एक रुपये का सिक्का रखे और जल में प्रवाहित कर दें। 

(डिस्क्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य विशेषज्ञ की राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

टॅग्स :रक्षाबन्धनहिंदू त्योहारत्योहारभारत
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