लाइव न्यूज़ :

Pradosh Vrat: कथा के बिना नहीं मिलता है प्रदोष व्रत का फल, पढ़ें कथा, जानें नियम

By गुणातीत ओझा | Updated: June 18, 2020 15:51 IST

Pradosh vrat 2020: आज प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने वाले भक्तों से प्रसन्न होकर भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

Open in App
ठळक मुद्देशास्त्रों में गुरु प्रदोष व्रत के अलौकिक महात्म बताए गए हैं। आज 18 जून को प्रदोष व्रत है।गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और फल दिन और वार के हिसाब से अलग अलग होता है।

Guru Pradosh vrat 2020: शास्त्रों में गुरु प्रदोष व्रत के अलौकिक महात्म बताए गए हैं। आज 18 जून को प्रदोष व्रत है। गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और फल दिन और वार के हिसाब से अलग अलग होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूरे विधि विधान से व्रत रखने वाले जातक पर भगवान शिव की कृपा बनती है। इस व्रत के पीछे भगवान शिव की एक पौराणिक कथा है, जिसे पढ़े बिना व्रत को अधूरा माना जाता है। आइए आपको गुरु प्रदोष वर्त कथा के बारे में बताते हैं...

गुरु प्रदोष व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय की बात है जब एक बार इंद्र और वृत्तासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया। सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं।

वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया।

वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- 'हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।' चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिवशंकर हंसकर बोले- 'हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो!'

माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- 'अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।' जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना।

गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- 'वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।' देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए।

टॅग्स :प्रदोष व्रतभगवान शिवपार्वतीधार्मिक खबरेंज्योतिष शास्त्र
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 03 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

पूजा पाठPanchang 02 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 02 December 2025: आज जॉब में तरक्की, व्यापार में जबरदस्त मुनाफा होने की संभावना

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व