Pitru Paksha Amavasya and Mahalaya 2019: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के साथ ही 28 सितंबर (शनिवार) को पितृपक्ष का समापन हो जाएगा। इस साल पितृपक्ष पर 20 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब पितृपक्ष अमावस्या और शनिवार एक साथ पड़ रहे हैं। इससे पहले 1999 में ऐसा संयोग बना था। जानकारों के अनुसार शनिवार की अमावस्या का काफी अधिक महत्व है।
यह महालया का भी दिन होगा। मान्यता है कि इस दिन शक्ति की देवी माता दुर्गा धरती पर आती है और फिर अगले दिन से नवरात्रि का त्योहार शुरू हो जाता है। इस लिहाज से नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर (रविवार) से हो रही है। हालांकि, इससे पहले पितृपक्ष के आखिरी दिन श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस बार शनिवार है, इसलिए श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध कर्म के साथ-साथ शनि देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
Shradh Amavasya 2019: किसी का श्राद्ध करना भूल गये हैं तो इस दिन करें श्राद्ध
श्राद्ध अमावस्या का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पितर धरती से विदाई ले लेते हैं। अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध करने की परंपरा है। इस दिन आप उन पितरों का भी श्राद्ध कर सकते हैं जिनका तर्पण आदि आपने पिछले 15 दिन में किसी कारणवश नहीं किया या फिर भूल गये। इस दिन अमावस्या तिथि रात 11.56 बजे खत्म होगी। ऐसे में पूरे दिन श्राद्ध और तर्पण का मुहूर्त है।
अमावस्या पर पितरों के लिए पके हुए तावल, काले तिल मिलाकर पिंड बनाए और श्राद्ध कर्म के बाद इसे नदी में प्रवाहित करें। इस दिन घर में शुद्ध मन से सात्विक भोजन बनाना चाहिए। इसमें मिष्ठान, पूड़ी, खीर आदि जरूर शामिल हों। इस भोजन में गाय, कुत्ते, चींटी और कौआ के लिए एक-एक हिस्सा पहले ही निकाल दें। देवताओं के लिए भी भोजन पहले निकाले और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दक्षिणा आदि देकर विदा करें। यह शनिवार का भी दिन है। इसलिए इस दिन शनि देव को तेल चढ़ाए और पीपल की पूजा भी करें।