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Pitru Paksha 2019: श्राद्ध का भोजन केले के पत्ते पर नहीं कराएं, जानिए पितृपक्ष से जुड़ी सबसे जरूरी 10 बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 16, 2019 11:36 IST

Pitru Paksha 2019: पितृपक्ष के दौरान पितरों के श्राद्ध और तर्पण के साथ-साथ ब्राह्मणों को भोज कराना भी अनिवार्य माना जाता है। जानिए, इससे जुड़े कुछ अहम नियम...

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ठळक मुद्देPitru Paksha 2019: श्राद्ध का भोजन केले के पत्ते पर नहीं कराया जाना चाहिएब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आदि अवश्य दें

Pitru Paksha 2019:पितृपक्ष का समय शुरू हो चुका है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानी 28 सितंबर तक पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके नाम से दान आदि करना चाहिए और ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराया जाना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार जो लोग ऐसा नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यास ही धरती से लौट जाते हैं और परिवार को पितृदोष लगता है। श्राद्ध और तर्पण में श्रद्दा और शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। खासकर भोजन कराने से जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। आईए, जानते हैं इन नियमों के बारे में....

1. श्राद्ध के बाद जब भी ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं तो इस बात का ध्यान रखें उसे केले के पत्ते पर नहीं परोसा जाए। शास्त्रों के अनुसार इससे पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है। 

2. सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन ही श्राद्ध पर ब्राह्मण भोज के लिए सर्वोत्तम हैं। साथ ही श्राद्ध और तर्पण में लोहे और स्टील के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

3. मान्यता है कि चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। यही नहीं, पितर भी तृप्त होते हैं।

4. श्राद्ध पर भोजन के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही आमंत्रित कर लें और उन्हें दक्षिण दिशा में बैठाएं। मान्यता है कि दक्षिण में पितरों का वास होता है। 

5. गाय, चींटी, कुत्ते, कौए और देवता को भोजन कराने के बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। श्राद्ध पर ब्राह्मणों को भोज कराना अनिवार्य है। बिना ब्राह्ण भोज के पितर भी भोजन नहीं लेते और नाराज होकर लौट जाते हैं।

6. ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आदि दें और उनका आशीर्वाद लें। 

7. भोज और दान-दक्षिणा देने के बाद ब्राह्मणों को उन्हें छोड़ने द्वार तक जाएं। मान्यता है कि ब्राह्मणों के साथ पितरों की भी विदाई होती है।

8. ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही स्वयं और अपने रिश्तेदारों को भोजन कराएं।

9. बहन, दामाद और भांजे को भी भोजन अवश्य कराएं। मान्यता है कि उनके भोजन के बिना पितर प्रसन्न नहीं होते।

10. यही भी ध्यान रखे कि कुत्ते और कौए का भोजन, कुत्ते और कौए को ही खिलाया जाए। देवताओं और चींटी के नाम पर निकाले भोजन को गाय को खिलाया जा सकता है। 

टॅग्स :पितृपक्ष
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