Pitru Paksha 2019:पितृपक्ष अब खत्म होने में केवल दो दिन का समय रह गया है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या शनिवार (28 सितंबर) को है और यही पितृपक्ष का आखिरी दिन भी है। इसे श्राद्ध अमावस्या भी कहते हैं। इसके बाद नवरात्रि की शुरुआत 29 तारीख से हो जाएगी। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
ऐसा नहीं करने पर पितृदोष लगता है। भारत में विभिन्न शहरों में पवित्र नदियों के किनारे श्राद्ध और तर्पण की परंपरा है। वैसे, अगर आप इस बार किसी वजर से पितृपक्ष में श्राद्ध नहीं कर सके हैं तो भी कुछ विशेष नियमों का पालन कर आप पितृदोष से बच सकते हैं।
1) पितृपक्ष के समय अगर आप पिंडदान, श्राद्ध आदि नहीं कर पाते हैं तो किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को धन और अनाज का दान करना चाहिए। ब्राह्मण और गरीब को घर में बैठाकर भोजन भी करवाना अच्छा है। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
2) अगर पूरे विधि-विधान से श्राद्ध नहीं कर पा रहे हैं तो किसी नदी में काला तिल और पके चावल डालकर तर्पण करें। इस दौरान पितरों का ध्यान करें। स्नान आदि के बाद अनाज का दान करें।
3) पितरों का स्मरण करते हुए इस दौरान गोशाला में भी दान करना चाहिए। साथ ही गाय को हरी घास और रोटी आदि खिलाएं। कौए के लिए भी अलग भोजन निकाल कर रखें।
4) श्राद्ध नहीं कर पाने की स्थिति में एक और काम रोजाना अवश्य करें। सुबह जल्दी उठे और भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। पीपल के पेड़ पर भी जल चढ़ाना चाहिए।
5) पितृपक्ष के दौरान किसी भी अनैतिक कार्य से बचना चाहिए। इस समय में अनैतिक और अधार्मिक काम करने वाले लोगों को पिंडदान, तर्पण आदि करने पर भी पुण्य का फल नहीं मिलता। इसलिए इसका बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।