पौष अमावस्या 2022: साल की आखिरी अमावस्या बेहद खास, बन रहा है उत्तम योग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: December 19, 2022 02:03 PM2022-12-19T14:03:25+5:302022-12-19T14:03:25+5:30
पौष अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या तिथि बहुत ही उत्तम मानी जाती है।
Paush Amavasya 2022 Date: इस साल पौष अमावस्या 23 दिसंबर, शुक्रवार को पड़ रही है। यह इस साल की आखिरी अमावस्या होगी। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान, पितरों का तर्पण, पिंडदान श्राद्ध कर्म आदि किया जाता है। पौष अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या तिथि बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस बार तो पौष अमावस्या के दिन शुभ संयोग भी बन रहा है।
पौष अमावस्या 2022 शुभ योग
हिन्दू पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या शुक्रवार को पड़ रही है। शास्त्रों में यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। वहीं अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी की खास पूजा करने से धन संबंधी सभी समस्याओं को दूर हो जाती हैं। साथ ही पौष अमावस्या पर वृद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में पूजा-पाठ करने से फलों में वृद्धि होती हैं। इस दिन वृद्धि योग दोपहर 01:42 बजे से अगले दिन (24 दिसंबर 2022) सुबह 09:27 बजे तक रहेगा।
पौष अमावस्या का मुहूर्त
पौष अमावस्या तिथि प्रारंभ - 22 दिसंबर 2022 को शाम 07 बजकर 13 मिनट से
पौष अमावस्या तिथि समाप्त - 23 दिसंबर 2022 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक
पौष अमावस्या तिथि - 23 दिसंबर, 2022 (उदया तिथि के अनुसार)
पौष अमावस्या पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या फिर स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए।
भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें ।
अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते तो इस दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है और उससे ही पितरों को भोग लगा दें ।
एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पौष अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ है। इस दिन पितरों के लिए पिंडदान करने से पितर संतुष्ट होते हैं और उन्हें तमाम यातनाओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितर प्रसन्न होते हैं। जिससे पितृदोष के कारण भाग्योदय में आई रूकावट दूर होती है। इस अमावस्या पर पितृदोष की शांति करें, जिससे शीघ्र भाग्योदय होगा। पितृदोष दूर होने पर संतान जन्म में होने वाली बाधा दूर होती है।