Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी कल, इस व्रत को करने से मिलता है 24 एकादशी व्रतों का फल, जानें व्रत नियम
By रुस्तम राणा | Updated: June 17, 2024 16:01 IST2024-06-17T16:01:47+5:302024-06-17T16:01:55+5:30
धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से सारे पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि यह सभी 24 एकादशी व्रतों के समान फल प्रदान करती है।

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी कल, इस व्रत को करने से मिलता है 24 एकादशी व्रतों का फल, जानें व्रत नियम
Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी व्रत कल, 18 जून, मंगलवार को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। इस भीषण गर्मी में निर्जला व्रत में व्रती को पूरे समय पानी नहीं पीना होता है। इसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। ऐसे में इस व्रत से जुड़े नियमों को जान लेना अति आवश्यक हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से सारे पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि यह सभी 24 एकादशी व्रतों के समान फल प्रदान करती है।
निर्जला एकादशी व्रत नियम
निर्जला एकादशी का व्रत बिना अन्न और जल के रखा जाता है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है इसलिए इसे निर्जला व्रत कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है
भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। एकादशी के दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें। इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। निर्जला एकादशी के दिन अन्न के साथ जल का दान भी करें। राहगीरों से लेकर पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें। जल का दान करने से विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
एकादशी के दिन तुलसी को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। इस दिन तुलसी में जल अर्पित न करें।
निर्जला एकादशी के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें।
निर्जला एकादशी व्रत के दिन जमीन पर सोना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत में अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
एकादशी व्रत का पारण करने के बाद ही जल का सेवन करें।
निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करें और न ही बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, यह व्रत पांडव महाबली भीम ने भी किया था। भीम के साथ यह समस्या थी कि वे भूखे नहीं रह पाते थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर भीम ने एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत रखने से सारे दुख-दर्द दूर होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।