जानिए घर-दुकान के बाहर क्यों लटकाते हैं नींबू-मिर्च, क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा

By गुलनीत कौर | Published: November 8, 2018 05:21 PM2018-11-08T17:21:26+5:302018-11-08T17:21:26+5:30

आपने अक्सर घर और दुकानों के बाहर नींबू-मिर्ची को लटके हुए देखा होगा, कहते हैं कि बुरे नजर से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बुरी नजर से बचने के लिए नींबू-मिर्ची का इस्तेमाल ही क्यों करते हैं, कोई अन्य चीज क्यों नहीं?

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जानिए घर-दुकान के बाहर क्यों लटकाते हैं नींबू-मिर्च, क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा

7 नवंबर की रात धूमधाम से दिवाली का पर्व मनाने के बाद आज देश के कई हिस्सों में गोवर्धन पूजा और विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया गया। दिवाली से पहले और बाद में ऐसे कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं जो इस त्यौहार की जोश को जल्दी खत्म नहीं होने देते हैं। लेकिन इन बड़े कार्यक्रमों के बीच कुछ छोटे छोटे धार्मिक कर्मकांड भी किए जाते हैं। 

बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में दिवाली की अगली सुबह 'दलिदर' भगाने की एक रस्म अदा की जाती है। जी हां, दलिदर यानी आलस्य एवं दुर्भाग्य। जिसे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का हिस्सा नहीं बनाना चाहता है। यह एक ऐसी क्षेत्रीय रस्म है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

इस रस्म को गांव की स्त्रियों द्वारा निभाया जाता है, ये स्त्रियां सुबह सुबह टोली बनाकर घर से निकलती हैं। इनके हाथ में सूप और छड़ी होती है। कुछ पारंपरिक गीतों को गाती हुई, सूप-छड़ी को बजाती हुई ये औरतें गांव की सीमा तक पहुंच जाती हैं और दलिदर को खदेड़ कर आती हैं। 

दरअसल ये महिलाएं इस रस्म के माध्यम से लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी को अपने घर और गांव से बाहर करती हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार अलक्ष्मी, धन की देवी लक्ष्मी की बहन हैं। लेकिन उसके चरित्र का कोई भी गुण मां लक्ष्मी से मेल नहीं खाता है।

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कौन है अलक्ष्मी?

पौराणिक कथाओं के अनुसार हम सभी जानते हैं कि मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से उत्पन्न हुई थीं। लेकिन मां लक्ष्मी से पहले अलक्ष्मी भी इसी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई। देवताओं ने अलक्ष्मी को उन घरों में जाकर वास करने को कहाँ जहां हर समय क्रोध-कलह का वास रहता है।

पौराणिक वर्णन के अनुसार लक्ष्मी को भाग्य की और अलक्ष्मी को दुर्भाग्य की देवी माना गया। इसे दरिद्रता लाने वाली कहा गया। अलक्ष्मी देखने में कुरूप और बुरे प्रभाव वाली मानी जाती है। अलक्ष्मी का विवाह ब्राह्मण दु:सह से हुआ जिसके पाताल चले जाने के बाद वह अकेली एक पीपल के वृक्ष के नीचे रहने लगीं। 

मान्यता है कि प्रत्येक शनिवार मां लक्ष्मी अपनी बहन अलक्ष्मी से मिलने पीपल के वृक्ष के नीचे आती हैं। इसलिए शनिवार को इस वृक्स्ग को सुख-वैभव प्रदान करने वाला माना जाता है और सप्ताह के अन्य दिनों में पीपल के वृक्ष से दूरी बनाने को कहा जाता है। 

क्यों किसी के घर में ना हो अलक्ष्मी?

शास्त्रों के अनुसार दुःख, दरिद्रता, दुर्भाग्य की देवी अलक्ष्मी का वास कभी भी घर में नहीं होना चाहिए। यदि यह किसी घर में अपना स्थान बना ले तो उस परिवार का सुख, चैन, भाग्य, धन सब छिन जाता है।

अलक्ष्मी और नींबू-मिर्च का संबंध

एक शास्त्रीय मान्यता के अनुसार जिस घर में लक्ष्मी होती है उसके साथ घर में अलक्ष्मी भी चली आती है। लेकिन लक्ष्मी घर में रहे और अलक्ष्मी भीतर ना आने पाए इसके लिए घर के बाहर नींबू-मिर्ची लटकाई जाती है। 

मान्यता है कि मां लक्ष्मी को मीठी चीजें पसंद हैं इसलिए मिष्ठान को घर के भीतर रखकर धन की देवी को आमंत्रित किया जाता है। दूसरी ओर अलक्ष्मी को कड़वी और खट्टी चीजें पसंद हैं, इसलिए घर के मुख द्वार पर नींबू-मिर्ची लटकाकर अलक्ष्मी को वहीं रोक दिया जाता है। वह वहीं से अपनी पसंद की चीज का सेवन कर चली जाती है। 

Web Title: nimbu mirchi totka significance, story, history related to goddess of misfortune alakshmi

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