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नववर्ष 2019 में पहनें ये खास रुद्राक्ष, पूरे साल पास नहीं भटकेंगी ये समस्याएं

By गुलनीत कौर | Updated: December 24, 2018 13:34 IST

एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक कुल चौदह रुद्राक्ष मौजूद हैं। ज्योतिष शास्त्र में हर एक रुद्राक्ष का अपना महत्व, प्रभाव एवं उससे मिलने वाला लाभ बताया गया है।

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शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए रुद्राक्ष को मनुष्य की अनेकों समस्याओं का अंत करने वाला माना गया है। रुद्राक्ष माला से मंत्र जाप करना और रुद्राक्ष धारण करना, दोनों का ही अपना महत्व है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सही रुद्राक्ष धारण करना आपको अनेकों फायदे दिला सकता है। शिव रुद्राक्ष का रोगों से खास संबंध है। यदि रोग के अनुसार रुद्राक्ष धारण किया जाए तो पुरानी से पुरानी बीमारी का भी अंत किया जा सकता है। 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक रुद्राक्ष कुल चौदह प्रकार के होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक कुल चौदह रुद्राक्ष मौजूद हैं। ज्योतिष शास्त्र में हर एक रुद्राक्ष का अपना महत्व, प्रभाव एवं उससे मिलने वाला लाभ बताया गया है। तो आइए हम आपको बताते हैं कि किस रुद्राक्ष को धारण करने से किस बीमारी का अंत होता है। नए साल के शुभ समय में रुद्राक्ष धारण कर आप भी अपने रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।

रुद्राक्ष कैसे करता है रोगों का अंत?

किस रुद्राक्ष ससे कौन से रोग का अंत होता है यह जानने से पहले जानते हैं कि रुद्राक्ष किस प्रकार से रोगों को काटने में सहायक होता है। ज्योतिष शास्त्र की राय में रुद्राक्ष के दानों में 50 फीसदी कार्बन, 18 फीसदी हाइड्रोजन, 30 फीसदी ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की भी कुछ मात्रा होती है। इसके अलावा इसमें एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन आदि भी मौजूद हैं। ये सभी तत्व मिलकर रुद्राक्ष में एक चुम्बकीय ऊर्जा को उतपन्न करते हैं जो मनुष्य के रोगों को खुद में खींच लेता है।

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रोग अनुसार धारण करें ऐसा रुद्राक्ष:

एक मुखी रुद्राक्ष: आंखों, दिल और मस्तिष्क से जुड़े रोगों को कम करने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह मानसिक तनाव को भी कर करता है। विद्यार्थियों को एक मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। 

दो मुखी रुद्राक्ष: सांस से जुड़ी बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यह रुद्राक्ष फेफड़ों और गुर्दों के रोगों को काबू करने में भी सहायक सिद्ध होता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को मंगल ग्रह का कारक माना जाता है। कुंडली में यदि मंगल ग्रह कमजोर हो तो तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि गुस्सा अधिक आता हो तो यह मस्तिष्क को काबू में रखता है। 

चार मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष पर भगवान ब्रह्मा की कृपा मानी गई है। इसे धारण करने से पैरालिसिस और लंबे समय से बिगड़े हुए बुखार को ठीक किया जा सकता है। 

पंच मुखी रुद्राक्ष: कुंडली में बृहस्पति ग्रह की कमजोरी से शरीर रोगों का आदि हो जाता है। विभिन्न प्रकार के रोग घेर लेते हैं। इनपर नियंत्रण पाने के लिए पंच मुखी रुद्राक्ष धारण करें। 

छः मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के आत्म विश्वास और ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। छः मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत बनता है और आसानी से फैसले ले पाता है।

सात मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को न्याय के देवता शनि का कारक माना गया है। कुंडली में शनि की बुरी स्थिति हो तो सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इस रुद्राक्ष से हड्डियों और नसों के रोग कम किए जा सकते हैं।

आठ मुखी रुद्राक्ष: शिव का आठ मुखी रुद्राक्ष भगवान गणेश से जुड़ा है। इसे धारण करने से सिरदर्द, किडनी और लीवर संबंधी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। यह रुद्राक्ष त्वचा रोगों में भी लाभदायक है।

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नौ मुखी रुद्राक्ष: उदार और नेत्र रोगों को कम करने के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से जातक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। 

दस मुखी रुद्राक्ष: दमा, गठिया, नेत्र और पेट संबंधी रोगों का समाधान है दस मुखी रुद्राक्ष। इसे धारण करने से शिव के दस अवतारों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: आत्म विश्वास की कमी हो तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह जीवन में सही मार्ग पर चलने और सही फैसले लेने की प्रेरणा प्रदान करता है। 

बारह मुखी रुद्राक्ष: शिव के इस रुद्राक्ष में बारह ज्योतिर्लिंगों का वास माना जाता है। इसे धारण करने से जातक पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। बारह मुखी रुद्राक्ष मानसिक विकारों एवं चिंताओं से मुक्त करता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष: हड्डियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है तेरह मुखी रुद्राक्ष। इसके अलावा नेत्र एवं दांतों की समस्याओं से भी निजात दिलाता है। शिव का यह रुद्राक्ष दरिद्रता को भी दूर करता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला साधक शनि के प्रकोप से बचा रहता है। चौदह मुखी रुद्राक्ष त्वचा रोगों से निजात दिलाता है। इसके आलाव पेट संबंधी रोगों को भी कम करता है।

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