नवरात्रि में पहले दिन से लेकर पूरे नौ दिनों जौ बोने की परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये परंपरा क्यों चली आ रही है? इसकी पीछे की वजह क्या है? नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना में जौ का खास महत्व माना जाता है। इसके जरिए आप अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और परेशानियों का अनुमान लगा सकते हैं। इस आर्टिकल में आप जानेंगे नवरात्रि में जौ के महत्व के बारे में साथ ही यह भी कि कैसे इसके जरिए शुभ और अशुभ संकेतों का पता चलता है।
ब्रह्मा का रूप है जौ
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जौ ब्रह्मा का रूप होता है। आदिकाल से पूजा-पाठ में हवन के दौरान जौ को आहुति देने की परंपरा चली आ रही है। जो लोग जौ का सम्मान करते हैं तो माना जाता है कि इससे भगवान ब्रह्मा का सम्मान होता है। इसके प्रयोग से ही यह स्पष्ट होता है कि हिंदू धर्म में जौ की कितनी महत्ता है।
पता कर सकते हैं शुभ-अशुभ संकेत
जौ कि सबसे बड़ी बात यह भी है कि इसके जरिए भविष्य में आने वाले शुभ और अशुभ संकेतों का पहले ही अनुमान लगाया जा सकता है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि नवरात्रि में जैसे-जैसे जौ बढ़ता है वैसे ही मां दुर्गा की कृपा बरसती है। जौ जितनी हरी-भरी होती है मां दुर्गा की कृपा भी उतनी ही ज्यादा बसरती है। यह संकेत है कि घर में सुख समृद्धि आने वाली है।
जौ बोते समय बरतें सावधानी
जौ बोने के बाद अगर यह दो से तीन दिन में ही अंकुरित होने लग जाए तो समझ जाइए कि घर में कोई शुभ संकेत आने वाला है। इसके विपरित अगर घर में उगाए गए जौ दो से तीन दिन में न उगे तो यह अशुभ संकेत हो सकता है। कई बार सही तरह से जौ न बोने के कारण वह सही समय पर नहीं उग पाता है। इसलिए जौ बोते समय पूरी सावधानी बरतें।
जौ का हरा और सफेद रंग शुभ
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जौ के रंग से भी भविष्य में आने वाली परिस्थितियों का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर जौ का आधा हिस्सा हरा है और आधा हिस्सा पीला है तो यह संकेत है कि आने वाले साल में आधा समय अच्छा होगा और आधा समय परेशानियों या मुसीबतो से भरा हो सकता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि जौ का रंग हरा हो या फिर सफेद हो गया हो तो यह आने वाले साल के शुभ होने का संकेत होता है। यह संकेत है कि मां दुर्गा की कृपा आप पर बरसेगी।