नवरात्रि के आठवें दिन मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि में भगवती के 9 रूपों के अपने अलग महत्व होते हैं। सिर्फ यही नहीं इन 9 रूपों की अलग-अलग विधि और तरीकों से पूजा भी की जाती है। मां महागौरी को पुराणों में शिवा भी कहा गया है। मां की पूजा करने के बाद, 9 दिन व्रत करने वाले भक्त, महाअष्टमी के दिन कुंवारी कन्याओं को कंजक भी खिलाते हैं। आइए आपको बताते हैं क्या है महागौरी से जुड़ी प्राचीन कथा और कंजक खिलाने का शुभ मुहूर्त।
8 साल की उम्र में हो गया था पिछले जन्म का आभास
पौराणिक कथा और शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को 8 साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं को आभास हो गया था। महागौरी को ये पता चल गया था कि भगवान से उनका रिश्ता क्या है और इसलिए उन्होंने 8 साल की उम्र से ही भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। यही कारण है कि महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की विशेष पूजा और दुर्गासपत्शती के मध्यम चरित्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।
कैसा है मां का स्वरूप
महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है और दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू। वहीं तीसरा हाथ वरमुद्रा में है तो चौथा हाथ गृहस्थ्य जीवन को दर्शाता है। मान्यता है कि महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। बैल पर सवार मां के कपड़े श्वेत और मुख पर हंसी विराजमान है।
ये हैं मां गौरी की पूजा विधि
मां को शक्ति के लिए पूजा जाता है। इनके पूजन में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन बहुत से लोग कन्यापूजन भी करते हैं।
इस मंत्र से करें मां गौरी का जाप
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
ये है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
महाअष्टमी को कन्या पूजन के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला सुबह 8 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक। और दूसरा 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक। मान्यता है कि इन शुभ समय के बीच कन्याओं को कंजक खिलाने से शुभ फल प्राप्त होता है।