Margashirsha Purnima 2025: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान करने का महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार के अनुसार, यह मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा या फिर अगहन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण किया जाता है, माता लक्ष्मी की पूजा होती है। इसके साथ इस दिन दिन चंद्र देव की भी आराधना की जाती है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर (गुरुवार) को है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दिन रवि योग बन रह है, जिससे यह दिन ओर भी खास रहने वाला है। आइए जानते हैं तिथि और दान- स्नान का शुभ मुहूर्त…
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 4 दिसंबर 2025 को सुबह 8.36 से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का समापन - 5 दिसंबर 2025 को सुबह 4.42 पर
मार्गशीर्ष पूर्णिमा दान- स्नान का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 5.10 – सुबह 6.04सत्यनारायण पूजा – सुबह 10:53 – दोपहर 1.29चंद्रोदय समय – दोपहर 4.34
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का समय
भद्रा सुबह में 8 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं इस भद्रा का वास स्वर्ग में है, इस वजह से इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान नारायण की पूजा धूप, दीप आदि से करें।भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें। इसके बाद चूरमा का भोग लगाएं। यह इन्हें अतिप्रिय है। बाद में चूरमा को प्रसाद के रुप में बांट दें। पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देना न भूलें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जगत के पालनहार की कृपा बरसती है। पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अमृत बरसाता है। इस दिन बाहर खीर रखना चाहिए। फिर इसका दूसरे दिन सेवन करें। अगर आपके कुंडली में चंद्र ग्रह दोष है, तो इस दिन चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।