Mangal Dosh: जन्म कुंडली में मंगल दोष के कारण जातकों को वैवाहिक जीवन में कई प्रकार के कष्टों को सहना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की परिस्थिति से कई प्रकार के योग और दोष बनते हैं। जो शुभ औरअशुभ दोनों ही रूप में होते हैं। इन्हीं में से एक दोष है मंगल दोष। कुंडली में यह दोष मंगल ग्रह की कुछ विशेष परिस्थिति के कारण बनता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को पापी ग्रह कहा जाता है। यह ऊर्जा, खेल, युद्ध, भूमि, रक्त आदि का कारक माना जाता है। मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। आइए जानते हैं कुंडली में मंगल दोष कैसे बनता है, इसके क्या प्रभाव होते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
कुंडली में मंगल दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी भी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह पहले (लग्न), चौथे (सुख), सातवें (विवाह), आठवें (आयुर्भाव) और बारहवें (हानि) भाव में से किस एक भाव में मौजूद हो तो जातक मांगलिक दोष से पीड़ित होता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में कई तरह की परेशानियां आती हैं। ज्योतिष में मंगल दोष को अशुभ माना गया है।
मंगल दोष के प्रभाव
मंगल दोष के कारण जातकों को विवाह से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मसलन विवाह में देरी, विवाह न होना, वैवाहिक संबंध विच्छेद, वैवाहिक जीवन में लड़ाई-झगड़े, जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद के कारण तालमेल में कमी आदि। इसके अलावा जातक स्वभाव से गुस्सैल, झगड़ालू होता है। जातक को रक्त संबंधी रोगों का भी सामना करना पड़ता है।
मंगल दोष को खत्म करने के उपाय
मंगल ग्रह की शांति के लिए हवन एवं यज्ञ का आयोजन करें।महिलाओं को वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत रखना चाहिए। मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत रखें।ॐ भौमाय नम: और ॐ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप करें।मंगलवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। मंगलवार के दिन लाल कपड़े धारण करें। हनुमान मंदिर में लाल सिंदूर चढ़ाएं और जरूरतमंद लोगों को लाल मसूर अथवा लाल वस्त्र दान करें।