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पहली बार कब बनाई गई खिचड़ी, जानें भारत के सुपर फूड का रोचक इतिहास

By मेघना वर्मा | Updated: January 13, 2018 17:46 IST

खिचड़ी एक संस्कृत शब्द 'खिच्चा' से आया है। यह एक एंग्लो इंडियन डिश केडगेरी और मिस्र की डिश कुशारि से भी प्रेरित है।

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खिचड़ी का नाम सुनते ही जहां कई लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है वहीं कई लोग मुंह भी सिकोड़ लेते हैं। मकर संक्रांति या खिचड़ी के इस पर्व को भारत के त्यौहारों का मान समझा जाता है। इतिहास के पन्नों को खोलें तो मालूम होता है कि खिचड़ी कोई सामान्य पकवान नहीं है, बल्कि यह भारत की संस्कृति को बखूबी दर्शाती है। यह खिचड़ी धर्म और संस्कृति का उदाहरण देती है।

लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था।बात करें यदि खिचड़ी के इतिहास की तो यह बहुत पुराना है। के बारे में बताएंगे। राष्ट्रीय पहचान बना चुकी खिचड़ी का स्वाद हर शहर के साथ बदलता भी जाता है। सिर्फ यही नहीं भारत के एक कोने में साल में एक बार ‘खिचड़ी मेला’भी लगता है। जो खिचड़ी के इतिहास से जुड़ा है। इतिहास के पन्नों को खोलें तो मालूम होता है कि खिचड़ी कोई सामान्य पकवान नहीं है, बल्कि यह भारत की संस्कृति को बखूबी दर्शाती है। यह खिचड़ी धर्म और संस्कृति का उदाहरण देती है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था।

ये है खिचड़ी का इतिहास

खिचड़ी मुख्यरूप से बंगाल, बिहार, हरियाणा, झारखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा में बड़े ही चाव से खाई जाती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि खिचड़ी सिर्फ इन्ही राज्यों तक सीमित है बल्कि यह देश के हर कोने में बनती है। सर्दी में तो अक्सर इसे हर घर में बनाया ही जाता है। हाल ही में खिचड़ी को "इंडिया का सुपर फूड" और "क्वीन ऑफ ऑल फूड" के तौर पर दुनिया के सामने रखा गया।

बात करें यदि खिचड़ी के इतिहास की तो पौराणिक कहानी के अनुसार सुल्तान खिलजी ने जब आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उनका डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जूझते-जूझते वह इतना थक जाते कि भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता था। यह समस्या इतनी बढ़ गई थी कि जल्द से जल्द कोई समाधान निकलना था। एक दिन अपने योगियों की कमजोरी को दूर करने लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एकत्र कर पकाने को कहा, और बस ईसी दिन से "खिचड़ी" हमारे बीच आई।

संस्कृत में खिच्चा कहते हैं खिचड़ी को

वास्तव में खिचड़ी एक संस्कृत शब्द 'खिच्चा' से आया है। खिचड़ी एक एंग्लो इंडियन डिश केडगेरी और मिस्त्र की डिश कुशारि से भी प्रेरित है। मोरोक्कन यात्री ने 1350 में सिरका में रहने के दौरान खिचड़ी का जिक्र किशरी के नाम से किया था जिसे उन्होंने चावल और मूंगदाल से बनाने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर मुगल काल में खिचड़ी बहुत फेमस थी। 16 वीं सदी में मुगल शहंशाह अकबर के वजीर अबू-उल-फजल मुबारक द्वारा लिखे गए मुगल दस्तावेज "एन-ए-अकबरी" में भी खिचड़ी की रेसिपी लिखी गई थी और वो भी 7 अलग-अलग तरीकों से।

फर्स्ट सॉलिड बेबी फूड भी है खिचड़ी

खिचड़ी साउथ एशिया की एक ऐसी डिश है जिसे चावल और दाल के साथ मिलाकर पकाया जाता है। इसे कई जगहों पर बाजरा और मूंगदाल के साथ भी पकाया जाता है। खिचड़ी ही वह डिश है जिसे हर बच्चे को आसानी से यानी बिना किसी दिक्कत के खिलाया जा सकता है और इसी वजह से इसे फर्स्ट सॉलिड बेबी फूड भी कहा जाता है। खिचड़ी केवल चावल की ही नहीं बल्कि व्रत के दौरान भी खाई जाती है। जैसे साबूदाने से बनाई गयी खिचड़ी।

खिचड़ी के चार यार, दही, पापड़, घी और अचार

खिचड़ी को आलू, हरी मटर और फूलगोभी के साथ बनाया जाता है और महाराष्ट्र में तो इसे प्रॉन के साथ बनाया जाता है। कहते हैं खिचड़ी अपने चार यार यानी दही, पापड़, घी और अचार के साथ बहुत ही स्वादिष्ट लगती है। भारतीय परिवारों में खिचड़ी महज एक प्रकार का भोजन नहीं है, वरन् यह एक पारंपरिक पकवान है। 

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