मकर संक्रांति विशेष- भारत के हर राज्य में दिखता है अलग रंग, जानें कहां कैसे मनाया जाता है यह पर्व
By धीरज पाल | Published: January 10, 2018 04:32 PM2018-01-10T16:32:24+5:302018-01-10T17:21:37+5:30
उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक, कुछ इस तरह धूमधाम से मनाया जाता है संक्रांति का दिन।
भारत में हर कदम पर आपको विविधता मिल जाएगी। कई मजहब, जाति, समुदाय के लोगों से मिलकर भारत बना है जो यहां की संस्कृति और खासियत को दर्शाता है। हर कदम पर भाषा और बोली बदल जाती है, खान-पान बदल जाते हैं, रहन-सहन में विविधिता नजर आती है। भारत में सबसे बड़ी जनसंख्या वाले हिन्दू धर्म में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। हर त्यौहार की अपनी-अपनी महत्वता, संस्कृति व परंपरा होती है।
जनवरी के शुरुआत में ही हिंदू धर्म प्रसिद्द त्यौहार मकर संक्रांति पड़ता है। मकर संक्रांति के दौरान मौसम करवट लेने लगती है, देश के कई राज्यों में नई फसल का आगमन होता है। इस मौके पर किसान फसल की कटाई के बाद इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। भारत के हर राज्य में मकर संक्रांति को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
किसानों का त्यौहार पोंगल
पोंगल दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्रा प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का त्यौहार है। इस मौके पर धान की कटाई के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंग्ल का त्यौहार मनाते हैं। पोंगल का त्यौहार 'तइ' नामक तमिल महीने की पहली तारीख यानि जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार 3 दिन तक चलता है जो इंद्र और सूर्य देव को समर्पित होता है। इस त्यौहार के मौके पर किसान अच्छी फसल के लिए बारिश और जाऊ भूमि के लिए भगवान को शुक्रिया अदा करता है। इस त्यौहार के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे दिन पशु पूजा होती है।
नई फसल और नए मौसम का त्यौहार है उत्तरायण
उत्तरायण खासतौर पर गुजरात में मनाया जाने वाला त्यौहार है। नई फसल और नए मौसम के आगमन पर यह त्यौहार 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस मौके पर गुजरात में पतंग उड़ाई जाती है साथ ही पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो दुनियाभर में मशहूर है। उत्तरायण पर्व पर व्रत रखा जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाई जाती है।
लोहड़ी का त्यौहार
लोहड़ी विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाने वाला पर्व है, जो फसलों की कटाई के बाद 13 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर शाम के समय पवित्र अग्नि जलाई जाती है और तिल, गुड़ और मक्का अग्नि को भोग के रूप में चढ़ाई जाती है।
माघ/भोगली बिहू
असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू यानि भोगाली बिहू त्यौहार मनाया जाता है। भोगाली बिहू के मौके पर खान-पान का विशेष आयोजन होता है। इस समय असम में तिल, चावल, नरियल और गन्ने की फसल अच्छी होती है। इसी से तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाकर खाए और खिलाए जाते हैं। भोगाली बिहू पर भी होलिका जलाई जाती है और तिल व नरियल से बनाए व्यंजन अग्नि देवता को समर्पित किए जाते हैं। भोगली बिहू के मौके पर टेकेली भोंगा नामक खेल खेला जाता है साथ ही भैंसों की लड़ाई भी होती है।