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Makar Sankranti 2023 Date: मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को? जानिए सही तारीख, पुण्य और महापुण्य काल मुहूर्त और पूजा विधि

By रुस्तम राणा | Updated: January 9, 2023 14:30 IST

इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी 2023 को रात 08 बजकर 57 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। किंतु हिंदू धर्म में उदयातिथि में पर्व मनाने की परंपरा है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। 

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Makar Sankranti 2023: सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। सूर्य देव जिस भी राशि में प्रवेश में करते हैं वह संक्रांति उसी राशि के नाम से जानी जाती है। सूर्य ग्रह इस समय धनु राशि में हैं जब यह धनु राशि मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो उसे मकर संक्रांति कहा जाएगा। मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। 

इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, इसलिए उसे उत्तरायणी भी कहा जाता है। दक्षिण में इस पर्व को पोंगल और उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और फिर दान देने का विशेष महत्व माना जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है।  

कब है मकर संक्रांति 2023 ?

इस साल मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति है। कोई 14 जनवरी को मकर संक्रांति कह रहा है तो कोई 15 जनवरी को मकर संक्रांति के होने की बात कर रहा है। दरअसल, इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी 2023 को रात 08 बजकर 57 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। किंतु हिंदू धर्म में उदयातिथि में पर्व मनाने की परंपरा है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। 

मकर संक्रांति मुहूर्त 2023

जनवरी पुण्य काल मुहूर्त : सुबह 07:17- शाम 05:55 बजे (15 जनवरी 2023)महापुण्य काल मुहूर्त : सुबह 07:17 - सुबह 09:04 बजे (15 जनवरी 2023)

मकर संक्रांति पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन तड़के उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके लिए आप किसी पवित्र नदी में जा सकते हैं। अगर नदी की ओर जाना संभव नहीं है तो घर में पानी में तिल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा है। सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ रख लें। जल के इसी मिश्रण को सूर्य देव को अर्पित करें। भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करना चाहिए। साथ ही इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र और अन्न आदि दान करना चाहिए। तिल के दान का महत्व खास है। साथ ही चावल, दाल, खिचड़ी का दान भी बहुत शुभ माना गया है। इसके अलावा ब्रहामण को भोजन कराने की भी परंपरा है।

मकर संक्रांति का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है, लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के मिलन का भी त्योहार है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। कहते हैं मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाता है।

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