Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि कल, भगवान भोलेनाथ की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान, जान लें पूजा के नियम
By रुस्तम राणा | Updated: February 28, 2022 14:37 IST2022-02-28T14:37:35+5:302022-02-28T14:37:35+5:30
महाशिवरात्रि पर शिवभक्त व्रत धारण कर भोलेनाथ की उपासना करते हैं। भक्त कच्चे दूध, गंगा जल, घी, भस्म आदि से शिवजी का अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुओं को अर्पित किया जाता है।

Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि कल, भगवान भोलेनाथ की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान, जान लें पूजा के नियम
महाशिवरात्रिभगवान शिव और मां पार्वती के मिलन का पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन (फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस बार महाशिवरात्रि पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं।
महाशिवरात्रि पर शिवभक्त व्रत धारण कर भोलेनाथ की उपासना करते हैं। भक्त कच्चे दूध, गंगा जल, घी, भस्म आदि से शिवजी का अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुओं को अर्पित किया जाता है। अपने प्रति भक्तों के अपार प्रेम को देखकर शिवजी शीघ्र प्रसन्न होकर खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन शिवपूजा में भक्तों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ऐसे करें भगवान शिव की आराधना
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान शिव जी की आराधना करें। महाशिवरात्री के मौके पर रात्रि के चारों पहर में पूजा करने की परंपरा है। अगर संभव नहीं है तो दिन में भी पूजन किया जा सकता है। अगर शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही पूजन करें।
इस दिन शिवजी को भांग, धतूरा, बेर चंदन, बेल पत्र, फल और फूल आदि जरूर अर्पित करें। माता पार्वती के लिए सुहागन महिलाएं सुहाग की प्रतीक जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर आदि अर्पित करती हैं। इस पूरे दिन उपवास करें। फलाहार कर सकते हैं पर नमक का सेवन नहीं करें।
भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
भगवान शिव को कुमकुम या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए। कुमकुम या सिंदूर को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। शिवलिंग पर भस्म चढ़ाना अच्छा माना गया है। मान्यता है कि भोलेनाथ को तुलसी का पत्ता भी अर्पित नहीं करना चाहिए। भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
भगवान शिव की पूजा में लाल फूल और केतकी के फूलों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। इसके अलावा उन्हें हल्दी नहीं चढ़ाई जाती। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी को सौंदर्य प्रसाधन का सामान माना जाता है। हल्दी का संबंध भगवान विष्णु से भी है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ता है।
महाशिवरात्रि 2022: शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 01 मार्च को तड़के 03 बजकर 16 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 02 मार्च को रात रात 01:00 बजे तक
शुभ मुहूर्त - दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक
निशिथ काल मुहूर्त -- रात 12:08 बजे से लेकर देर रात 12:58 बजे तक
व्रत का पारण मुहूर्त - 02 मार्च को प्रात: 06:45 बजे