बनारस में जलती चिताओं के बीच 15 मार्च को खेली जाएगी महाश्मशान होली, तस्वीरों में देखिए

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 13, 2022 16:21 IST2022-03-13T16:14:58+5:302022-03-13T16:21:45+5:30

पौराणिक कथाओं के मुताबिक बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी हुई काशी इस पूरे पृथ्वी का इकलौता शहर है, जहां के लोग अबीर और गुलाल से नहीं बल्कि चिता की राख से होली खेलते हैं। इस प्रथा को चिता-भस्म होली कहते हैं।

Maha cremation Holi will be played on March 15 amidst burning pyres in Banaras | बनारस में जलती चिताओं के बीच 15 मार्च को खेली जाएगी महाश्मशान होली, तस्वीरों में देखिए

बनारस में जलती चिताओं के बीच 15 मार्च को खेली जाएगी महाश्मशान होली, तस्वीरों में देखिए

Highlightsमाना जाता है कि बाबा विश्वनाथ और पार्वती जी का गौना फाल्गुन एकादशी (रंगभरी एकादशी) के दिन हुआ थारंगभरी एकादशी के अगले दिन काशी में चिता की राख से प्रभु शिव के साथ भस्म होली खेली जाती हैकाशी के मणिकर्णिका घाट पर एक तरफ चिताएं जलती हैं और दूसरी ओर होली खेली जाती है

वाराणसी: काशी में मृत्यु भी उत्सव के समान होती है। मान्यताओं के मुताबिक काशी में मृत्यु मात्र से मोक्ष की प्राप्ती होती है। यही कारण है कि बनारस की होली भी अड़भंगी और निराली होती है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी हुई काशी इस पूरे पृथ्वी का इकलौता शहर है, जहां के लोग अबीर और गुलाल से नहीं बल्कि चिता की राख से होली खेलते हैं। इस प्रथा को चिता-भस्म होली कहते हैं।

रंगभरी एकादशी के दिन काशी के मणिकर्णिका घाट स्थित बाबा महामशानेश्वर महादेव मंदिर की विशेष पूजा-अर्चना होगी और उसके अगले दिन यानी 15 मार्च को महामशान पर बाबा के भक्त दिन में 11.30 बजे से चिता भस्म होली खेलना प्रारंभ करेंगे।

बनारस में मणिकर्णिका घाट की गलियों में एक तरफ अंत्येष्टि के लिए शव जाते हैं वहीं दूसरी ओर उन्हीं गलियों में फागुन की गीत गाते हुए भक्त होली खेलते हैं। घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच काशी के लोग मृत्यु को भी उत्सव की तरह मनाते हैं।

मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन महाश्मशान में बाबा विश्वनाथ स्वयं आते हैं अपने भक्तों के साथ भस्म होली खेलने के लिए। इंसानी शरीर के भस्म की राख बन जाती है गुलाल और उसी से खेली जाती है बनारस की चिता भस्म होली।

कहा जाता है कि बनारस में चिताभूमि के स्वामी और भूतभावन महादेव और पार्वती जी का गौना फाल्गुन एकादशी के दिन हुआ था और इसी दिन वह शिव के साथ बनारस में आई थीं।

काशी की इस महाहोली में राग और विराग दोनों नजर आते हैं। भक्त हर साल काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर जुटते हैं और बाबा मशान नाथ की पूजा कतरते हुए विधिवत भस्म, अबीर, गुलाल और रंग चढ़ाते हैं।

उसके बाद डमरू बजाते हुए भक्त मणिकर्णिका घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच की भस्म लेकर एक-दूसरे को लगाते हैं और इस तरह से बनारस में खेली जाती है चिता भस्म होली। 

Web Title: Maha cremation Holi will be played on March 15 amidst burning pyres in Banaras

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