चन्द्र ग्रहण 2018: गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान ना करें ये अशुभ काम, बचाव के लिए करें ये उपाय
By गुलनीत कौर | Updated: January 31, 2018 12:00 IST2018-01-31T11:38:00+5:302018-01-31T12:00:14+5:30
गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसके साथ ही उसे ग्रहण देखने की भूल तो बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए।

चन्द्र ग्रहण 2018: गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान ना करें ये अशुभ काम, बचाव के लिए करें ये उपाय
माघ महीने की पूर्णिमा पर साल 2018 का पहला चन्द्र ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण का सूतक समय सुबह 8 बजकर 18 मिनट से ही आरम्भ हो जाएगा लेकिन असल ग्रहण ठीक 9 घंटे के बाद शाम 5 बजकर 18 मिनट से लगेगा। ग्रहण रात 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस हिसाब से यह ग्रहण कुल 3 घंटे 24 मिनट का होगा।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार ग्रहण को अशुभ माना गया है। ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि ग्रहण के दौरान शास्त्रों में दर्ज नियमों का पालन करें। खासतौर से गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अधिक सचेत रहना चाहिए। उन्हें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और साथ ही ग्रहण का होने वाले शिशु पर बुरा प्रभाव ना हो, इसके लिए कुछ शास्त्रीय उपाय भी करने चाहिए।
ग्रहण के दौरान गर्भवती ये ना करे
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसके साथ ही उसे ग्रहण देखने की भूल तो बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए। इसके पीछे शास्त्रों में एक कारण भी उल्लिखित है जिसके मुताबिक यदि गर्भाती महिला ग्रहण देख ले तो होने वाला शिशु शारीरिक और मानसिक कमजोरी का शिकार हो सकता है।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली वस्तुओं जैसे कि चाकू आदि से दूर रहना चाहिए। इन चीजों के इस्तेमाल से भी पूर्ण परहेज करना चाहिए। मान्यता के अनुसार यदि कोई गर्भवती स्त्री ग्रहण काल में सब्जियां आदि काटती है तो होने वाले शिशु के अंगों को हानि हो सकती है।
ग्रहण के सूतक से लेकर मोक्ष काल तक गर्भवती महिलाएं किसी भी तरह की खरीददारी से बचें।
ग्रहण के दौरान गर्भवती को सोना नहीं चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। लेकिन बिस्तर पर बैठकर अन्य काम किए जा सकते हैं।
करें ये उपाय
ग्रहण काल के दौरान घर के अन्दर ही रहें और खुद को मानसिक रूप से शांत रखने की कोशिश करें।
ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ एवं मंत्र जाप का अत्यधिक महत्व होता है। होने वाले शिशु की रक्षा के लिए इस मंत्र का कम से कम एक माला (108) बार जाप करें - "ॐ क्षीरपुत्राय विह्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्र प्रचोदयात्"
इसके अलावा इस मंत्र का भी जाप कर सकती हैं महिलाएं, यह उन्हें मानसिक शांति दिलाएगा - "ॐ नमो नारायण नमः"
ये भी करें
ग्रहण समाप्त होने के बाद गर्भवती महिलाएं स्नान अवश्य करें। इससे उन्हें शारीरिक शुद्धि मिलेगी।
ग्रहण के बाद दान-पुण्य आदि करें। इससे होने वाले शिशु पर सकारात्मक प्रभाव होगा।