पूरे देश में 27 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में उजाले और दीपों के इस त्योहार का सबसे ज्यादा महत्व बताया जाता है। दिवाली पर ना सिर्फ लोग अपने घर को अच्छी तरह सजाते हैं बल्कि पहले से ही घर की सफाई में जुट जाते हैं। मान्यता है कि साफ-सुथरे घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए लोग पूरे मन से दिवाली पर घर की साफ-सफाई करते हैं।
देर शाम लोग लक्ष्मी की पूजा करने के बाद अपने घर के हर कोनों में दीयों को जलाते हैं। जो उजाले का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम लंकापति का वध करके वापिस अयोध्या लौठे थे। उसी खुशी में लोगों ने अपन घर को दीयों से सजाया था। तभी से दीये जलाने की ये परंपरा चली आ रही है।
दिवाली के दिन ही लक्ष्मी मां की पूजा की जाती है। विधि-विधान से पूजा करने के बाद लक्ष्मी मां की आरती भी गई जाती है। आप भी पूजा के बाद लक्ष्मी मईया की आरती जरूर गाएं। नीचे पढ़े लक्ष्मी मां की पूरी आरती।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निस दिन सेवत, हर विष्णु धाता ॥ ॐ जय...॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय...॥
दुर्गारूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ ॐ जय...॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता।कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय...॥
जिस घर तुम रहती, तहं सब सद्गुण आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय...॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय...॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय...॥
आरती करने के बाद पूरे घर में आरती को घुमाएं। इसके बाद तुलसी के सामने इसे जरूर दिखाएं। इसके बाद ही घरवालों को आरती लेने को कहें।