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Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सबकुछ

By रुस्तम राणा | Updated: August 4, 2025 16:17 IST

द्रिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त से शुरू होकर 16 अगस्त को समाप्त होगी, इसलिए शुक्रवार (15 अगस्त) को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस बीच, दही हांडी उत्सव शनिवार को मनाया जाएगा।

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Krishna Janmashtami 2025 Date And Time: जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसे भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार आध्यात्मिक चिंतन, भक्ति और उत्सव का समय है। भगवान कृष्ण के जन्म को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि उनका जन्म दुनिया को राजा कंस के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए हुआ था।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: परंपराएँ और उत्सव

भक्त अक्सर कृष्ण जन्म के समय मध्यरात्रि तक उपवास रखते हैं और भगवान की पूजा के बाद इसे तोड़ते हैं। भक्त भक्ति गीत भी गाते हैं, कृष्ण लीलाएँ करते हैं, मंदिरों में जाते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ उत्सव मनाते हैं।

भक्त अपने घरों और मंदिरों को फूलों, रोशनी और कृष्ण-थीम वाली सजावट से सजाते हैं। कुछ क्षेत्रों में, युवा पुरुष दही से भरे बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जो कृष्ण के मक्खन के प्रति प्रेम और उनके चंचल स्वभाव का प्रतीक है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को देर रात 11 बजकर 49 मिनट पर हो रही है। अष्टमी तिथि 16 अगस्त को रात्रि 09:34 बजे समाप्त होगी।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: पूजा का समय

द्रिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त से शुरू होकर 16 अगस्त को समाप्त होगी, इसलिए शुक्रवार को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस बीच, दही हांडी उत्सव शनिवार को मनाया जाएगा।

निशिता पूजा का समय 16 अगस्त को सुबह 12:04 बजे से 12:47 बजे के बीच होगा। यह 43 मिनट का होगा।

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:24 से 5:07 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:37 से 3:30 बजे तक

गोधूलि बेला: शाम 7:00 बजे से 7:22 बजे तक

निशिता मुहूर्त: सुबह 12:04 बजे से 12:47 बजे तक

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: महत्व

भगवद्गीता में कृष्ण की शिक्षाओं को एक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का मार्गदर्शक माना जाता है। भक्ति और निस्वार्थ सेवा: कृष्ण का जीवन और शिक्षाएँ भक्ति, निस्वार्थ सेवा और धार्मिक जीवन जीने के महत्व पर ज़ोर देती हैं। 

टॅग्स :जन्माष्टमीभगवान कृष्णहिंदू त्योहार
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