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Karwa Chauth 2023: आज कितने बजे निकलेगा चांद? जानें चंद्रोदय का समय, करवा चौथ का पूजा मुहूर्त और व्रत कथा

By रुस्तम राणा | Updated: November 1, 2023 10:52 IST

Karwa Chauth 2023:विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने के लिए पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं

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ठळक मुद्देभोजन या पानी की एक बूंद भी नहीं लेकर 'निर्जला व्रत' रखती हैं।भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और करवा माता से प्रार्थना करती हैं।

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ व्रत विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। इस साल यह व्रत 1 नवंबर, बुधवार को है। इस दिन, महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने के लिए पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं। करवा चौथ पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित भारत के उत्तरी हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

इस प्रकार रखा जाता है व्रत

अनुष्ठान के हिस्से के रूप में, विवाहित महिलाएं पूरे दिन सूर्योदय के बाद भोजन या पानी की एक बूंद भी नहीं लेकर 'निर्जला व्रत' रखती हैं। वे छलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखकर ही अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन, विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और करवा माता से प्रार्थना करती हैं।

करवा चौथ 2023 तिथि, पूजा शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय:

द्रिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5:36 बजे से शाम 6:54 बजे तक है। करवा चौथ उपवास का समय सुबह 06:33 बजे से शाम 06:15 बजे तक है, और चंद्रोदय का समय रात 8:15 बजे है। इस बीच, चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9:30 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को रात 9:19 बजे समाप्त होगी।

करवा चौथ व्रत कथा

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।

साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।

साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।

इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।

टॅग्स :करवा चौथहिंदू त्योहारKarva Chauth
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