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Karwa Chauth 2020: कब निकलेगा करवा चौथ का चांद? ये है पूजा का शुभ मुहूर्त

By गुणातीत ओझा | Updated: November 4, 2020 13:32 IST

आज यानि 4 नवंबर बुधवार को सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ (Karwa Chauth 2020) मनाया जा रहा है। करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

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ठळक मुद्देआज यानि 4 नवंबर बुधवार को सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ मनाया जा रहा है।करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

आज यानि 4 नवंबर बुधवार को सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ(Karwa Chauth 2020) मनाया जा रहा है। करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। आज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनके उज्जवल भविष्य के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। रात में चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य देकर महिलाएं पूजा कर व्रत का पारण करती हैं। आइए आपको बताते हैं इस बार करवा चौथ का चांद किस समय निकलेगा और क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त।

करवा चौथ मुहूर्त (Karwa Chauth Muhurt)

पूजा मुहूर्त- 17:33:28 से 18:39:14 तककरवा चौथ चंद्रोदय समय (Chandrodaya time)- 20:11:59 बजे

करवा चौथ पूजा थाली की सामग्री

छलनी, मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन (मिट्टी या पीतल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है), रूई की बत्ती, धूप या अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाईयां, कांस की तीलियां, करवा चौथ कैलेंडर, रोली, अक्षत (साबुत चावल), गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी के 5 ढेले, आटे का दीया, दीपक, सिंदूर, चंदन, कुमकुम, शहद, चीनी, लकड़ी का आसन, जल,  गंगाजल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसके लिए पूजा-स्थल को खड़िया मिट्टी से सजाया जाता है और पार्वती की प्रतिमा की भी स्थापना की जाती है। पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है। करवा चौथ का व्रत चांद देखकर खोला जाता है, उस मौके पर पति भी साथ होता है। दीए जलाकर पूजा की शुरुआत की जाती है। करवा चौथ की पूजा में जल से भरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्हड़ यानी करवा, ऊपर दीपक पर रखी विशेष वस्तुएं, श्रंगार की सभी नई वस्तुएं जरूरी होती है। पूजा की थाली में रोली, चावल, धूप, दीप, फूल के साथ दूब अवश्य रहती है। शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों को भी पाट पर दूब में बिठाते हैं। बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भी सभी देवताओं को विराजित करने का विधान है। अब तो घरों में चांदी के शिव-पार्वती पूजा के लिए रख लिए जाते हैं। थाली को सजाकर चांद को अर्घ्य दिया जाता है। फिर पति के हाथों से मीठा पानी पीकर दिन भर का व्रत खोला जाता है। उसके बाद परिवार सहित खाना होता है।

टॅग्स :करवा चौथचंद्रमा
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