Karva Chauth 2020: 4 नवंबर को है करवा चौथ, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: October 28, 2020 01:26 PM2020-10-28T13:26:15+5:302020-10-28T13:35:29+5:30

करवाचौथ का व्रत रखना हर सुहागिन के लिए सौभाग्य की बात होती है. दिन भर निर्जला व्रत रखकर रात को चाँद के दर्शन करके अपना व्रत खोलती है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर हर साल आने वाला ये व्रत इस बार 4 नवंबर को है

Karva Chauth Vrat Katha in Hindi | Karva Chauth 2020: 4 नवंबर को है करवा चौथ, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा

Karva Chauth 2020: 4 नवंबर को है करवा चौथ, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा

करवा चौथ यानि सुहागिनों का त्यौहार. इस दिन दिन करवा माता का व्रत कर सुहागिनें अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं. करवाचौथ का व्रत रखना हर सुहागिन के लिए सौभाग्य की बात होती है. दिन भर निर्जला व्रत रखकर रात को चाँद के दर्शन करके अपना व्रत खोलती है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर हर साल आने वाला ये व्रत इस बार 4 नवंबर को है. तो चलिए आपको बताते है  करवाचौथ की व्रत कथा जिसे आप पूजा के समय पढ़ सकती हैं.


करवा चौथ व्रत कथा 

बहुत समय पहले एक साहूकार के सात बेटे थे और उनकी एक बहन थी जिसका नाम था करवा. सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वो खाना भी तब खाते थे जब उनकी बहन कुछ खा लेती थी. एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उनकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा. रात के समय जब साहूकार के सभी बेटे भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा. इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है. चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी. साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, अपनी बहिन को भूखा देखकर उन्हें बहुत दुःख हुआ. साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी. घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है. अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो. साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो. ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं. साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया. इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की से अप्रसन्न हो गए. गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया. साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ. उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया. इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया. उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया. 

 करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का  प्रारंभ 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट पर हो रहा  है अगले दिन यानी 5 नवंबर को सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर इसका समापन होगा. इस प्रकार इस बार महिलाओं को करवाचौथ का व्रत 13 घंटे 37 मिनट तक रखना होगा. इस व्रत का प्रारंभ 4 नवंबर को शुबह 6 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक होगा.  करवाचौथ के पूजन का शुभ मुहूर्त  4 नवंबर को शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. इसी दौरान आपको करवा चौथ की पूजा को विधि-विधान से करना चाहिए. वही 4 नवंबर  को चंद्रोदय का समय शाम को 08 बजकर 12 मिनट पर है.
 

Web Title: Karva Chauth Vrat Katha in Hindi

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