Kartarpur corridor: पाकिस्तान के करतारपुर से क्या है गुरु नानक देव का संबध, जानिए कुछ रोचक बातें

By मेघना वर्मा | Published: November 7, 2019 09:01 AM2019-11-07T09:01:24+5:302019-11-07T09:01:24+5:30

करतारपुर साहिब इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने यहां अपनी आखिरी सांसे ली थी। सिर्फ यही नहीं अपने जीवन के 18 वर्ष उन्होंने यही गुजारे थे।

Kartarpur corridor: kartarpur sahib corridor guru nanak dev, know the unknown facts of kartarpur sahib | Kartarpur corridor: पाकिस्तान के करतारपुर से क्या है गुरु नानक देव का संबध, जानिए कुछ रोचक बातें

Kartarpur corridor: पाकिस्तान के करतारपुर से क्या है गुरु नानक देव का संबध, जानिए कुछ रोचक बातें

Highlights गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर सिख धर्म का वह पवित्र धार्मिक स्थल है।करतारपुर साहिब के लिए बने कॉरिडोर का 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 9 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उद्घाटन करेंगे।

भारत- पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर ( पाकिस्तान ) इस समय मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है। यह गुरुद्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी से संबंधित है। दरअसल गुरु नानक देव जी के 550वें जन्मदिन पर यानी 12 नवंबर 2019 से पहले करतारपुर साहिब के लिए बने कॉरिडोर का 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 9 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उद्घाटन करेंगे।

करतारपुर साहिब इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने यहां अपनी आखिरी सांसे ली थी। सिर्फ यही नहीं अपने जीवन के 18 वर्ष उन्होंने यही गुजारे थे। भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सरकारों की ओर से कॉरिडोर को मंजूरी मिली है। उद्घाटन हो जाने के बाद भारत से बिना वीजा के ही सिख श्रद्धालु पाकिस्तान जाकर यहां दर्शन कर सकते हैं।

आइए आपको बताते हैं भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित करतारपुर से गुरु नानक देव के जुड़े कुछ रोचक तथ्य

1. गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर सिख धर्म का वह पवित्र धार्मिक स्थल है जहां इस धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी एन अपनी अंतिम सांसें ली थीं।

2. सिख इतिहास के मुताबिक जीवनभर का ज्ञान बटोरने के बाद गुरु नानक करतारपुर के इसी स्थान पर आए और जीवन के अंतिम 18 वर्ष उन्होंने यहीं बिताए।

3. इसी जगह पर उन्होंने लोगों को अपने साथ जोड़ा और उन्हें एकेश्वर्वाद का महत्व समझाया। उन्होंने यह उपदेश दिया कि पूरी दुनिया का कर्ता-धर्ता केवल एक अकाल पुरख है। वह अकाल पुरख निरंकार (निर-आकार) है।

4. गुरु नानक ने इसी स्थान पर अपनी रचनाओं और उपदेशों को कुछ पन्नों की एक पोथी का रूप दिया और उसे अगले गुरु के हाथों सौंप दिया था। इन पन्नों में आगे के गुरुओं द्वारा और भी रचनाएं जुड़ीं और अंत में सिखों के धार्मिक ग्रन्थ की रचना की गई। 

5. गुरु नानक ने 22 सितंबर, 1539 को इस स्थान पर अपनी अंतिम सांसें लीं। कहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद किसी को भी उनका शव नहीं मिला। शव की बजाय कुछ फूल हासिल हुए जिन्हें हिन्दुओं ने जला दिया और मुस्लिम भाईयों ने दफन कर दिया।

6. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लाखों सिख पाकिस्तान से भारत आ गए, तब यह गुरुद्वारा वीरान पड़ गया। मगर कुछ सालों बाद नानक के मुस्लिम श्रद्धालुओं ने इसे संभाला। वे यहां दर्शन के लिए आने लगे और इसकी देख-रेख करने लगे। पाकिस्तान के सिखों के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर उनके प्रथम गुरु का धार्मिक स्थल है तो वहीं यहां के मुस्लिमों के लिए यह उनके पीर की जगह है।

7. वर्षों बाद पाकिस्तान सरकार की भी इस जगह पर नजर पड़ी। गुरुद्वारा दरबार साहिब के नवीनीकरण पर काम किया गया। मई, 2017 में एक अमेरिकी सिख संगठन की मदद से गुरूद्वारे के आसपास बड़ी गिनती में पेड़ लगाने का काम भी किया गया।

8. यह गुरुद्वारा भारत में पाकिस्तानी सीमा से 100 मीटर दूरी पर स्थित डेरा बाबा नानक से दूरबीन की सहायता से दिखाई देता है। दूरबीन से गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन का यह काम CRPF की निगरानी में किया जाता है।

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