Kark Sankranti 2024: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को समस्त ग्रहों का राजा, प्रधान कहा जाता है। यह आत्मा, पिता, मान-सम्मान, उच्च पद-प्रतिष्ठा, राजसी जीवन, नेतृत्व आदि कारक होता है। यह सिंह राशि का स्वामी है, जो मेष राशि में उच्च का और तुला राशि में नीच अवस्था में होता है। ग्रहों में चंद्रमा, मंगल और गुरु सूर्य के मित्र ग्रह कहलाते हैं। जबकि शुक्र और शनि से इसकी शत्रुता है। शनि ग्रह सूर्य के पुत्र भी हैं।
कर्क संक्रांति क्या है?
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संचरण की प्रक्रिया को संक्रांति के कहते हैं। सूर्य ग्रह एक माह (करीब 30 दिनों) में अपनी राशि परिवर्तन करते हैं। जिस राशि में सूर्य ग्रह प्रवेश करते हैं उसी राशि के नाम से वह संक्रांति भी जानी जाती है। आज 16 जुलाई को सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में आए हैं। इसलिए आज कर्क संक्रांति है। इस बार कर्क संक्रांति के दिन साध्य योग, शुभ योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। यह योग सूर्य देव की उपासना के लिए शुभ माना जाता है।
सूर्य देव की पूजा विधि
कर्क संक्रांति को दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य वाले लोटे में पानी भरकर उसमें लाल चंदन, लाल फूल, गुड़ डालें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का उच्चारण करें। इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है।
सूर्य प्रार्थना मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।ॐ सूर्याय नम: ।ॐ घृणि सूर्याय नम: ।ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
कर्क संक्रांति का महत्व
वैदिक ज्योतिष में कर्क संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। कर्क संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और उपवास रखने से जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है। साथ ही समाज में मान-सम्मान ऊँचा होता है। इस दिन दान-पुण्य करना भी बेहद पुण्यकारी होता है।