Kajri Teej 2019: कजरी तीज इसी हफ्ते 18 अगस्त को, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 13, 2019 11:50 AM2019-08-13T11:50:04+5:302019-08-13T12:04:27+5:30
Kajri Teej: भादो के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि की शुरुआत 17 अगस्त की रात 10.48 बजे से ही हो जाएगी और यह 18 अगस्त को आधी 1.13 बजे खत्म होगी। ऐसे में दिन भर पूजा का विधान है।
Kajri Teej 2019: भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली कजरी तीज का त्योहार इस बार 18 अगस्त (रविवार) को पड़ रहा है। कजरी माता की पूजा को समर्पित तीज के इस त्योहार को कजली तीज भी कहते हैं। कजरी माता दरअसल माता पार्वती का ही एक रूप हैं। हरियाली और हरितालिका तीज की तरह यह त्योहार भी मुख्य रूप से महिलाओं का ही है। विवाहित महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र और घर में खुशहाली की कामना के लिए करती हैं।
अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की कामना लिए इस पर्व को करती हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान में मनाया जाता है। कजरी तीज के मौके पर महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं और फिर शाम को चंद्रमा के उदय के बाद उन्हें अर्घ्य देती हैं। मान्यता है कि चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाना चाहिए और भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने के बाद ही व्रत पूरा होता है और फिर महिलाएं व्रत तोड़ती हैं।
Kajri Teej 2019: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
भादो के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि की शुरुआत 17 अगस्त की रात 10.48 बजे से ही हो जाएगी और यह 18 अगस्त को आधी 1.13 बजे खत्म होगी। ऐसे में दिन भर पूजा का विधान है। इस दिन तड़के उठे और स्नान आदि कर पूजा की शुरुआत करें। नये कपड़े जरूर पहनें। इसके बाद मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाएं और विधिवत उनकी पूजा करें। साथ ही सुहाग का सामान मां पार्वती को चढ़ाया जाता है। कजरी तीज के मौके पर गायों के पूजन की भी विशेष परंपरा है।
Kajri Teej 2019: नीमड़ी माता की होती है पूजा
कई क्षेत्रों में कजली तीज के मौके पर नीमड़ी माता की कथा सुनने और उनके पूजन का विशेष महत्व है। पूजन से पहले गोबर और मिट्टी से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है। इसके पास नीम की टहनी को रोपा जाता है। साथ ही तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और उसके किनारे दीया जलाकर रखते हैं। इसके बाद एक थाली में पुष्प, हल्दी, अक्षत, चावल आदि के साथ नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है और फिर शाम को चंद्रमा का अर्घ्य देते हैं।
Kajri Teej 2019: कजरी तीज पर पकवानों का है विशेष महत्व
कजरी तीज के मौके पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा को मिलाकर तरह-तरह के पकवान तैयार किए जाते हैं। इस दिन आप चाहें तो खीर, पूरी, हलवा, घेवर, गुजिया, बादाम हलवा, काजू कतली, दाल बाटी चूरमा जैसे मिष्ठान भी बना सकते हैं। कई क्षेत्रों में कजरी तीज के मौके पर झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।