कैसा है मंगल भगवान का स्वरूप? जानें पूजा विधि और इसका महत्व

By गुणातीत ओझा | Published: September 14, 2020 02:37 PM2020-09-14T14:37:56+5:302020-09-14T14:37:56+5:30

नवग्रहों में मंगल भगवान भूमि और भ्राता के रूप में जाने जाते है। इन्हें भू पुत्र, अंगारक और खुज नाम से भी जाना जाता है। मंगलदेव को चार हाथ वाले त्रिशूल और गदा धारण किए हुए दर्शाया गया है।

kaisa hai mangal bhagavaan ka svaroop jaane pooja vidhi aur isaka mahatv | कैसा है मंगल भगवान का स्वरूप? जानें पूजा विधि और इसका महत्व

जानें मंगल ग्रह के बारे में ये रोचक बातें।

Highlightsनवग्रहों में मंगल भगवान भूमि और भ्राता के रूप में जाने जाते है।इन्हें भू पुत्र, अंगारक और खुज नाम से भी जाना जाता है।

नवग्रहों में मंगल भगवान भूमि और भ्राता के रूप में जाने जाते है। इन्हें भू पुत्र, अंगारक और खुज नाम से भी जाना जाता है। मंगलदेव को चार हाथ वाले त्रिशूल और गदा धारण किए हुए दर्शाया गया है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यदि कुण्डली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में है तो मंगलनाथ की पूजा से मंगल ग्रह की शांति होती हैं। व्यक्ति ऋण-मुक्त होकर धन लाभ ¬प्राप्त करता है। मंगल ग्रह का रत्न है, मूँगा। मूँगा धारण करने पर अशुभ परिणाम कम हो जाते है।
 
किस दिन होती है विशेष पूजा ?
मंगलनाथ मंदिर में प्रतिवर्ष मार्च में आने वाली अंगारक चतुर्थी को विशेष पूजा अर्चना होती है। इस दिन यहां पर विशेष यज्ञ हवन किए जाते है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से मंगलदेव तुरंत ही प्रसन्न हो जाते है।


 
भात पूजा द्वारा शांति
मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा का विशेष महत्व है। भात पूजा के माध्यम से मंगल दोष दूर किया जाता है। इस पूजा की व्यवस्था प्रबंधन समिति के द्वारा किया जाता है। मंगलदोष शीघ्र दूर होता है। दामपत्य जीवन में होने वाली परेशानी कम होती है। व्यवसाय में वृद्धि होती है। नेतृत्व शक्ति का विकास होता है। दूर्घटना में कमी आती है।

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