Indira Ekadashi 2024 Date: इंदिरा एकादशी व्रत कब? पितरों के लिए विशेष क्यों, जानें तारीख, मुहूर्त, पारण समय
By रुस्तम राणा | Published: September 19, 2024 02:15 PM2024-09-19T14:15:33+5:302024-09-19T14:18:33+5:30
Indira Ekadashi 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी व्रत आश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है और इस साल इंदिरा एकादशी व्रत 28 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा।
Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत हर साल पितृ पक्ष में रखा जाता है। इसलिए इस व्रत को पितरों के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं, उनको इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इस साल इंदिरा एकादशी के दिन दो शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इस व्रत का महत्व भी बढ़ जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी व्रत आश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है और इस साल इंदिरा एकादशी व्रत 28 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा।
इंदिरा एकादशी मुहूर्त
अश्विन कृष्ण एकादशी तिथि प्रारंभ- 27 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 20 मिनट से
अश्विन कृष्ण एकादशी तिथि का समापन - 28 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 07:42 बजे से 09:12 बजे तक
व्रत पारण का समय - 29 सितंबर को 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 8 बजकर 36 मिनट तक
इंदिरा एकादशी पर शुभ योग
इंदिरा एकादशी पर सिद्ध योग प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। उसके बाद साध्य योग होगा, जो पारण के दिन भी रहेगा। वहीं व्रत के दिन अश्लेषा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर 29 सितंबर को प्रात: 3 बजकर 38 मिनट तक है. उसके बाद मघा नक्षत्र है।
इंदिरा एकादशी व्रत विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें।
भगवान विष्णु जी की पूजा करें।
पितरों के तर्पण हेतु कर्मकांड करें।
शाम को भगवान विष्णु की पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
अगले दिन द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत खोलें।
ब्राह्मणों को भोजन कराकर प्रसाद वितरण करें।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा
सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मति नामक क्षेत्र में शासन करते थे। इंद्रसेन परम् विष्णु भक्त और धर्मपरायण राजा थे और सुचारू रूप से राज-काज कर रहे थे। एक दिन आचानक देवर्षि नारद का उनकी राज सभा में आगमन हुआ। राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत सत्कार कर उनके आगमन का कारण पूछा। नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व वो यमलोक गए थे वहां पर उनकी भेंट राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजन आपके पिता ने आपके लिए संदेशा भेजा है। उन्होंने कहा कि जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो जाने के कारण उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिली है और उन्हें यमलोक में ही रहना पड़ रहा है। मेरे पुत्र और संतति से कहिएगा कि यदि वो अश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें तो उसके भाग से मुझे मुक्ति मिल जाएगी।