भगवान श्री गणेश का जन्म कैसे, कब, कहां हुआ? जानें विघ्नहर्ता के बारे में रोचक तथ्य

By गुणातीत ओझा | Published: October 28, 2020 12:35 PM2020-10-28T12:35:11+5:302020-10-28T12:35:11+5:30

शास्त्रों में वर्णित तथ्यों में बताया गया है कि माता पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत के फलस्वरूप गणेशजी का जन्म हुआ। पुराणों में उनके जन्म के संबंध में कहा गया है कि माता ने अपनी सखी जया और विजया के कहने पर एक गण की उत्पति अपने मैल से की थी।

how when where lord ganesha born know all about his birthplace | भगवान श्री गणेश का जन्म कैसे, कब, कहां हुआ? जानें विघ्नहर्ता के बारे में रोचक तथ्य

जानें भगवान श्री गणेश के जन्म से जुड़ी ये पौराणिक बातें।

Highlightsआज बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जातकों के सारे संकट दूर होते हैं।भगवान श्री गणेश को भारतीय धर्म और संस्कृति में प्रथम पूज्य देवता माना गया है।

Lord Ganesha Birth: शास्त्रों के अनुसार बुधवार (Wednesday) का दिन भगवान श्री गणेश (Shri Ganesh) को समर्पित बताया गया है। यही कारण है कि बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। आज बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जातकों के सारे संकट दूर होते हैं। भगवान श्री गणेश को भारतीय धर्म और संस्कृति में प्रथम पूज्य देवता माना गया है। उनकी पूजा से पहले कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं किया जाता। सभी मांगलिक कार्य में पहले गणेश जी की स्थापना और स्तुति की जाती है। आइए आपको बताते हैं कि भगवान गणेश का जन्म कैसे, कब और कहां हुआ...

कैसे हुआ भगवान गणेश का जन्म

शास्त्रों में वर्णित तथ्यों में बताया गया है कि माता पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत के फलस्वरूप गणेशजी का जन्म हुआ। पुराणों में उनके जन्म के संबंध में कहा गया है कि माता ने अपनी सखी जया और विजया के कहने पर एक गण की उत्पति अपने मैल से की थी। माथुर ब्राह्मणों के इतिहास के अनुसार अनुमानतः 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को भगवान गणेश का मध्याह्न के समय जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश का जन्म सतुयग में हुआ था।

जाने कहां हुआ था भगवान गणेश का जन्म

उत्तरकाशी जिले के डोडीताल को गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है। यहां पर माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है जहां गणेशजी अपनी माता के साथ विराजमान हैं। डोडीताल जो कि मूल रूप से बुग्‍याल के बीच में काफी लंबी-चौड़ी झील है, वहीं भगवान श्री गणेश का जन्‍म हुआ था। यह भी कहा जाता है कि केलसू, जो मूल रूप से एक पट्टी है (पहाड़ों में गांवों के समूह को पट्टी के रूप में जाना जाता है) का मूल नाम कैलाशू है। इसे स्‍थानीय लोग भगवान शिव का कैलाश बताते हैं। केलशू क्षेत्र असी गंगा नदी घाटी के सात गांवों को मिलाकर बना है। भगवान गणेश को स्‍थानीय बोली में डोडी राजा कहा जाता है जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम डुंडीसर का अपभ्रंश है।

मान्यता अनुसार डोडीताल क्षेत्र मध्‍य कैलाश में आता था और डोडीताल भगवान गणेश की माता और शिवजी की पत्‍नी पार्वती का स्‍नान स्‍थल था। स्‍वामी चिद्मयानंद के गुरु रहे स्‍वामी तपोवन ने मुद्गल ऋषि की लिखी मुद्गल पुराण के हवाले से अपनी किताब हिमगिरी विहार में भी डोडीताल को गणेश का जन्‍मस्‍थल होने की बात लिखी है। वैसे कैलाश पर्वत तो यहां से सैकड़ों मील दूर है लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि एक समय यहां माता पार्वती विहार करने आई थीं तभी गणेशजी का जन्म हुआ था।

Web Title: how when where lord ganesha born know all about his birthplace

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