Holi 2020: मुगल काल में होली कैसे मनाई जाती थी और क्या कहता है इतिहास? जानिए

By विनीत कुमार | Updated: March 6, 2020 14:42 IST2020-03-06T14:42:29+5:302020-03-06T14:42:29+5:30

Holi: होली को लेकर आज के दौर में भले ही ये मान्यता रही हो कि ये केवल हिंदुओं का त्योहार है लेकिन इतिहास कुछ और कहता है। इस त्योहार को मनाने का प्रचलन सदियों पुराना है।

How holi was celebrated in Mughal empire time, rituals, history of holi and story of holika dahan | Holi 2020: मुगल काल में होली कैसे मनाई जाती थी और क्या कहता है इतिहास? जानिए

Holi 2020: मुलग काल में भी धूमधाम से मनाई जाती थी होली

Highlightsमुगल शासन में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता था होली का त्योहारमुगल बादशाह भी थे इस त्योहार के दीवाने, बहादुर शाह जफर का लिखा फाग अब भी गाया जाता है

Holi 2020: होली को आमतौर पर हिंदुओं के त्योहार के तौर पर ही देखा जाता रहा है। हालांकि, रंगों के इस त्योहार को हिंदू ही नहीं इस्लाम धर्म से जुड़े लोग भी मनाते आये हैं और ये पिछले कई सौ सालों से होता रहा है।

इतिहासकार मानते हैं कि मुगल काल में भी होली की रौनक वैसी ही थी जैसी आज है। इतिहास में अकबर से लेकर जहांगीर और औरंगजेब तक के शासन काल में होली खेलने और इन बादशाहों के उनमें हिस्सा लेने का जिक्र है। आईए जानते हैं क्या है होली का इतिहास और मुगल शासन में कैसे खेली जाती थी होली?

Holi 2020: होली का इतिहास

भारत में होली मनाने की परंपरा सालों पुरानी है। इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं भी जिसमें होलिका दहन का जिक्र आता है। कथा के अनुसार विष्णु भक्त प्रहलाद को उनकी बुआ होलिका जलाकर मारने के इरादे से गोद में लोकर खुद अग्नि में बैठ जाती है। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह नहीं जल सकती है।

हालांकि, इस बार ऐसा नहीं हुआ और होलिका जल गई जबकि प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। होली से जुड़ी कुछ कहानियों में भगवान शिव और उनके द्वार कामदेव को भस्म किये जाने की भी कहानी है। इन सब के अलावा द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के होली खेलने का सबसे ज्यादा उल्लेख है जिसके बाद ये काफी प्रचलित हुआ।

Holi 2020: मुगलकाल में होली

भारत से जुड़े कई मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में होली का जिक्र किया है। कई जगहों पर होली को ईद की तरह ही बड़े धूमधाम से मनाने की बात कही गई है। अमीर खुसरों से लेकर इब्राहिम रसखान, नजीर अकबराबादी और शाह नियाज की रचनाओं में होली का जिक्र है। 

होली मनाने से जुड़ी मुगलकालिन बनाई गई तस्वीरें भी इसकी गवाही देती हैं, उस जमाने में इस त्योहार का अपना एक विशेष स्थान था। अकबर के शासन में तो होली का विशेष महत्व रहा। अकबर का जोधाबाई के साथ रंग खेलना और फिर अकबर के बाद जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का जिक्र मिलता है।

शाहजहां के जमाने तक तो होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी कहा जाने लगा। इस जमाने में दूसरी रियासतों के भी राजे-महाराजों को न्योता दिया जाता था। सभी के साथ होली मिलन समारोह का आयोजन होता और दुश्मनी भुलाकर नई शुरुआत की बात होती। ऐसे ही औरंगजेब की होली का वर्णन स्टेनले लेन पूल की किताब 'औरंगजेब एंड द डिके ऑफ द मुगल अंपायर' में मिलता है।

अंतिम मुलग शासक बहादुर शाह जफर के बारे में तो कहा जाता है कि वे होली के दीवाने थे। उन्हें रंग और गुलाल लगाने उनके मंत्री जाया करते थे। यही नहीं, बहादुर शाह जफर के लिखे फाग तो आज भी गाये जाते हैं- 'क्यों मो पे मारी रंग की पिचकारी, देखो कुंअर जी दूंगी गारी।'

Web Title: How holi was celebrated in Mughal empire time, rituals, history of holi and story of holika dahan

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