Holi 2019: 14 मार्च से होलाष्टक शुरू, जानें इसके अशुभ होने के पीछे की पूरी कहानी

By गुलनीत कौर | Published: March 13, 2019 01:25 PM2019-03-13T13:25:26+5:302019-03-13T13:25:26+5:30

होलाष्टक में सभी मांगलिक एवं शुभ कार्य, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, गर्भाधान आदि निषेध माना गया है। मान्यता है कि इस अशुभ काल में ये कार्य करने से विपरीत परिणाम हासिल होते हैं।

Holi 2019: Holashtak 2019 starts from 14 march, ends 20 march, do's and dont's of holashtak, Holika dahan date, time, puja muhurat | Holi 2019: 14 मार्च से होलाष्टक शुरू, जानें इसके अशुभ होने के पीछे की पूरी कहानी

Holi 2019: 14 मार्च से होलाष्टक शुरू, जानें इसके अशुभ होने के पीछे की पूरी कहानी

फाल्गुन मास में होली की शुरुआत होलाष्टक से होती है। होली रंगों का पर्व होता है लेकिन होलाष्टक को अशुभ काल माना जाता है। यह आठ दिनों का होता है जो होलिका दहन की रात्रि के साथ ही समाप्त होता है। होलाष्टक 2019 14 मार्च से प्रारंभ होकर 20 मार्च तक चलेगा। 20 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 21 मार्च को रंगवाली होली मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार 20 मार्च की सुबह 10 बजकर 45 मिनट से अशुभ काल भद्रा प्रारंभ हो जाएगा जो कि रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।

होलाष्टक 2019 तिथि, समय, महत्व (Holashtak 2019 date, time)

होलिका दहन के दौरान भद्रा काल का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक होता है नहीं तो पूजा निष्फल मानी जाती है। इसके अलावा होली से ठीक आठ दिन पहले प्रारंभ होने वाले होलाष्टक का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। ये आठ दिन शास्त्रों में अशुभ माने जाते हैं। 14 मार्च, दिन बृहस्पतिवार से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है जो कि 20 मार्च होलिका दहन तक मान्य है। यूं तो होलाष्टक आठ दिनों का होता है। मगर इस साल यह केवल सात दिनों का है।

क्यों मनाते हैं होलाष्टक? (What is Holashtak, significance)

धर्म ग्रंथों में होलाष्टक के संबंध में दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा थे। वे बहुत बड़े नास्तिक थे। किन्तु उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश की कि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, किन्तु उसकी हर कोशिश असफल रही। 

आखिरकार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा हिरण्यकश्यप ने अपन ही पुत्र प्रहलाद को बंदी बना लिया। उसने सोचा कि वह डर से विष्णु की भक्ति छोड़ देगा। मगर लगातार आठ दिन प्रहलाद विष्णु भक्ति में लीन रहा। आठवें दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में  बैठ गई। होलिका को वरदान था कि वह जलेगी नहीं, किन्तु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई, प्रहलाद बच गया। तब से आजतक इन आठ दिनों को बेहद अशुभ माना गया है।

होलाष्टक की दूसरी कहानी

दूसरी कहानी के अनुसार होलाष्टक का महत्व भगवान शिव से जुड़ा है। बताया जाता है कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। इसके बाद संसार में शोक फ़ैल गया। परिवार की खुशियां खत्म हो गईं। तब कामदेव की पत्नी ने शिव से कामदेव की भूल की क्षमा माँगी और वरदान हेतु शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। 

कामदेव को भस्म करने से लेकर अगले आठ दिनों तक आज भी शोक मनाया जाता है। इन दिनों को 'होलाष्टक' का नाम देकर अशुभ माना जाता है। इसके बाद कामदेव के पुनर्जीवित होने की खुशी में दुल्हंडी (रंगवाली होली) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें: Holi 2019: क्या है होलाष्टक, कब से है शुरू, क्यों नहीं करते शुभ कार्य, जानें

होलाष्टक में ना करें ये कार्य (Do's, dont's for Holashtak 2019)

- मांगलिक कार्य
- शुभ कार्य
- विवाह
- मुंडन
- गृह प्रवेश
- गर्भाधान
- नए बिज़नेस/कार्य की शुरुआत

Web Title: Holi 2019: Holashtak 2019 starts from 14 march, ends 20 march, do's and dont's of holashtak, Holika dahan date, time, puja muhurat

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे