Holi 2019: क्या है होलाष्टक, कब से है शुरू, क्यों नहीं करते शुभ कार्य, जानें
By गुलनीत कौर | Published: March 13, 2019 11:59 AM2019-03-13T11:59:43+5:302019-03-13T11:59:43+5:30
धर्म शास्त्रों के अनुसार होली से ठीक आठ दिनों पहले अशुभ काल प्रारंभ हो जाता है। इसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है। यूं तो होलाष्टक आठ दिनों का होता है। मगर इस साल यह केवल सात दिनों का है।
रंगों का पर्व होली इस वर्ष 20 और 21 मार्च को है। 20 मार्च को होलिका दहन के बाद अले दिन 21 मार्च को रंगवाली होली यानी दुल्हंडी मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार 20 मार्च की सुबह 10 बजकर 45 मिनट से अशुभ काल भद्रा प्रारंभ हो जाएगा जो कि रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस कारण से रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।
होलाष्टक 2019 तिथि, समय, महत्व (Holashtak 2019 date, time, significance)
होलिका दहन के दौरान भद्रा काल का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक होता है नहीं तो पूजा निष्फल मानी जाती है। इसके अलावा होली से ठीक आठ दिन पहले प्रारंभ होने वाले होलाष्टक का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। ये आठ दिन शास्त्रों में अशुभ माने जाते हैं। 14 मार्च, दिन बृहस्पतिवार से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है जो कि 20 मार्च होलिका दहन तक मान्य है।
यूं तो होलाष्टक आठ दिनों का होता है। मगर इस साल यह केवल सात दिनों का है। 14 से 20 मार्च के बीच कई कार्य करना वर्जित होगा। ज्योतिष और धर्म की दिष्टि से होलाष्टक एक 'दोष' माना जाता है जिसमें यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो वह फलित सिद्ध नहीं होता है।
क्या है होलाष्टक? (What is Holashtak)
धर्म शास्त्रों के अनुसार होली से ठीक आठ दिनों पहले अशुभ काल प्रारंभ हो जाता है। इसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा थे। वे बहुत बड़े नास्तिक थे। किन्तु उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश की कि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, किन्तु उसकी हर कोशिश असफल रही।
आखिरकार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा हिरण्यकश्यप ने अपन ही पुत्र प्रहलाद को बंदी बना लिया। उसने सोचा कि वह डर से विष्णु की भक्ति छोड़ देगा। मगर लगातार आठ दिन प्रहलाद विष्णु भक्ति में लीन रहा। आठवें दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका को वरदान था कि वह जलेगी नहीं, किन्तु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई, प्रहलाद बच गया। तब से आजतक इन आठ दिनों को बेहद अशुभ माना गया है।
भगवान शिव से जुड़ा है होलाष्टक
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। इसके बाद संसार में शोक फ़ैल गया। परिवार की खुशियां खत्म हो गईं। तब कामदेव की पत्नी ने शिव से कामदेव की भूल की क्षमा माँगी और वरदान हेतु शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया।
कामदेव को भस्म करने से लेकर अगले आठ दिनों तक आज भी शोक मनाया जाता है। इन दिनों को 'होलाष्टक' का नाम देकर अशुभ माना जाता है। इसके बाद कामदेव के पुनर्जीवित होने की खुशी में दुल्हंडी (रंगवाली होली) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
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होलाष्टक पर ये कार्य ना करें (Do's, dont's for Holashtak 2019)
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