Holashtak 2021: होलाष्टक आज से शुरू, जानिए इस दौरान होलिका दहन तक क्या करें और क्या नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 22, 2021 11:35 AM2021-03-22T11:35:43+5:302021-03-22T11:37:34+5:30
Holashtak 2021: होलाष्टक की अवधि को अशुभ माना गया है। होली के करीब 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है।
Holashtak 2021: रंगो का त्योहार होली इस साल 29 मार्च को है। चैत्र के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला ये त्योहार भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इसका पौराणिक महत्व भी है और ये बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
पंचांग के अनुसार होली से करीब 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इस इसका समापन होलिक दहन के साथ होता है। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलाष्टक की शुरुआत होती है। इस बार होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा।
होली से पहले के इन आठ दिनों का समय अशुभ माना गया है। इसलिए इस अवधि में शुभ कार्य करने की मनाही होती है। वहीं, होली के दिन से हिंदी कैलेंडर के पहले माह चैत्र की शुरुआत होती है।
होलाष्टक का महत्व क्या है
होलाष्टक के दिन से दरअसल होलिका दहन की तैयारी शुरू कर दी जाती है। सूखे पेड़ों की लकड़िया और अन्य चीजें एक जगह पर एकत्र करने की प्रक्रिया इस दिन से शुरू हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार होलिका दहन के दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने धोखे से जलाने की कोशिश की थी।
इसमें भक्त प्रह्लाद की बुआ होलिका ने भी साथ दिया था। हालांकि, भगवान विष्णु के आशीर्वाद से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गईं। प्रह्लाद को जलाने की कोशिश से पहले हिरण्यकश्यप ने कई और तरीकों से भी मारने की कोशिश की थी। यही कारण है कि होलाष्टक के दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते। होलिका के जलने के बाद मंगल कार्यों की शुरुआत की जाती है।
होलाष्टक में क्या करें और क्या नहीं
होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है। ऐसे में इस बार होलाष्टक 22 मार्च (सोमवार) से शुरू हो रहा है। इसका समापन 28 मार्च (रविवार) यानी फाल्गुन की पूर्णिमा को होगा। अगले दिन यानी 29 तारीख को होली मनाई जाएगी।
होलाष्टक में मुख्य तौर पर सभी प्रकार के शुभ और मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसे में होलाष्टक के दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता है। इन दिनों विवाह नहीं करना चाहिए। साथ ही नए घर में प्रवेश या कहें कि गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
भूमि पूजन भी नहीं करने की परंपरा है। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके से ससुराल या ससुलार से अपने मायके नहीं जाना चाहिए। किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते। इस दौरान लोगों को पूजा-पाठ और मन की शांति में अपना ध्यान लगाना चाहिए।