Hindu Nav Varsh 2019: नव संवत्सर (2076) 'परिधावी' 6 अप्रैल से शुरू, भैंसे पर सवार होकर आएंगे राजा शनि
By उस्मान | Published: April 4, 2019 02:17 PM2019-04-04T14:17:41+5:302019-04-04T14:17:41+5:30
Hindu Nav Varsh 2019: "परिधावी " नामक नव संवत्सर का आरम्भ 6 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार की दोपहर में 01 बजकर 36 मिनट के बाद ही हो रहा है तथापि सूर्य सिद्धान्त पर आधारित गणना के आधार पर उदया तिथि को ही नव संवत्सर की शुरुआत मानी जाती है, इसी कारण 6 अप्रैल 2019 दिन शनिवार को भारतीय संस्कृति का सर्वमान्य नववर्ष अर्थात् नव संवत्सर 2076 की शुरुआत होगी।
चैत्र कृष्ण पक्ष अमावश्या के दिन हिन्दू वर्ष का समापन होता है तथा इसी के साथ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नूतन वर्ष अर्थात नव संवत्सर प्रारम्भ होता है। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार, इस प्रकार "विरोधकृत" नामक संवत्सर ( सम्वत् 2075) का समापन चैत्र कृष्ण पक्ष अमावश्या 5 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है, तथा इसी के साथ 46वाँ " परिधावी " नामक नव संवत्सर (2076) आरम्भ हो रहा है।
यद्यपि कि "परिधावी " नामक नव संवत्सर का आरम्भ 6 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार की दोपहर में 01 बजकर 36 मिनट के बाद ही हो रहा है तथापि सूर्य सिद्धान्त पर आधारित गणना के आधार पर उदया तिथि को ही नव संवत्सर की शुरुआत मानी जाती है, इसी कारण 6 अप्रैल 2019 दिन शनिवार को भारतीय संस्कृति का सर्वमान्य नववर्ष अर्थात् नव संवत्सर 2076 की शुरुआत होगी। यह प्रभवादि षष्टि संवत्सर चक्र का 46वाँ संवत्सर है।
- वर्ष भर संकल्प आदि में परिधावी नामक संवत्सर का प्रयोग किया जायेगा। ऐसा शास्त्र सम्मत मान्यता है कि सृष्टि रचयिता परम पिता ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही सृष्टि की रचना की थी ,अतः इसी को आधार मानकर काल गणना का सिद्धान्त चलता है। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को जो दिन या वार पड़ता है वही उस संवत्सर का राजा होता है तथा सूर्य की मेष संक्रांति जिस दिन होती है उस दिन से संवत्सर के मंत्री पद का निर्धारण होता है।
- ज्योतिष के अनुसार "परिधावी" नामक इस नव संवत्सर में राजा का पद शनि को एवं मंत्री का पद सूर्य को प्राप्त हो रहा है। यह संवत्सर अपने नाम के अनुरूप ही अकुशलता ,रोग्यता एवं अशुभ फलप्रदायक होगा ,जनता एवं समाज में सौम्यता कम एवं अस्थिरता बनी रहेगी, राजनीतिक दलों सहित समस्त संस्थाओं द्वारा किया गया कार्य-योजना जनता को लुभाने में असमर्थ होगा।
- परिधावी नामक इस संवत्सर के राजा शनि देव है। आकाशीय ग्रह समिति के अध्यक्ष या राजा के पद पर जब भी शनिदेव आते है तो दुष्टो,अत्याचारियों ,घुस खोरों अराजक तत्वों के वर्चस्व में अधिकता हो जाता है। परन्तु इसी क्रम में उनको सजा भी देते है क्योंकि शनिदेव न्याय प्रिय है, गलती कराकर सबक सिखाते है। अतः आम जन मानस के सहयोगी के रूप इस संवत्सर की गणना की जायेगी, शासन तंत्र अपना कार्य कर पाने में सफल तो होगा परन्तु जनता में असंतोष अवश्य बढेगा तथा धार्मिक क्रिया कलापों में अल्पता आएगी।
- ज्योतिष ने बताया कि ग्रहों के खगोलीय मन्त्री परिषद् के 10 विभागों में 4 विभाग शुभग्रहों के पास तथा 6 विभाग पाप ग्रहों के पास रहेगा। जिसमें राजा-शनि, मन्त्री-सूर्य ,सस्येश-बुध ,दुर्गेश-शनि,धनेश-मंगल, रसेश-शुक्र, धान्येश-चन्द्र, नीरसेश-बुध ,फलेश-शनि, मेघेश-शनि, होंगे। साथ ही संवत्सर का निवास माली का घर होगा एवं संवत्सर में समय का वाहन घोड़ा है।