आस्था ही नहीं स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है सूर्य को जल चढ़ाना

By मेघना वर्मा | Published: January 27, 2018 01:29 PM2018-01-27T13:29:52+5:302018-01-27T13:40:37+5:30

ताम्र पात्र में जल भरकर सूर्योदय के पश्चात सूर्य नमस्कार की विशिष्ट योग मुद्रा में जल की धार सिर से चार इंच ऊपर से स्लो मोशन में गिराते हुए जल की धार में से ही सूर्य की प्रकाश रश्मियों को एकाग्रता से देखा जाता है।

Health Benefits of offering the Water to the Sun | आस्था ही नहीं स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है सूर्य को जल चढ़ाना

आस्था ही नहीं स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है सूर्य को जल चढ़ाना

भगवान की आस्था पर बात की जाए तो सबसे पहला नाम भारतीयों का आता है। यहां लोगों में भगवान के प्रति इतनी आस्था होती है कि वे अपने दुख दर्द सभी  ऊपरवाले (भगवान) के हाथों में छोड़ देते हैं। सुबह उठ कर पूजा करना हो या सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा जो सदियों से चली आ रही है। ये सभी मान्यताएं और हमारे पूजा-पाठ में होने वाली सभी धार्मिक क्रिया-विधि के पीछे कहीं ना कहीं विज्ञान का रिश्ता भी जुड़ा होता है। 

हमारी लगभग सारी धार्मिक मान्यताएं कहीं न कहीं किसी साइंटिफिक रीजन की वजह से ही बनी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सूर्यदेव को जल चढ़ाने के पीछे भी पूरा साइंटिफिक रीजन हैं।

रंगों का रहता है संतुलन

अगर हम सूर्य को जल देने की बात करें तो इसके पीछे छिपा है रंगों का विज्ञान। हमारी बॉडी में रंगों का बैलेंस बिगड़ जाए तो हम कई रोगों के शिकार हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो सुबह या उगते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर में ये रंग संतुलित हो जाते हैं, जिससे बॉडी में रजिस्टेंस भी बढ़ता है और हमारे शरीर में रंगों का संतुलन बना रहता है। 

रीढ़ की हड्डी की समस्या से मिलती है निजात

इसके अलावा सूर्य नमस्कार की योगमुद्रा से कॉसंट्रेशन भी बढ़ता है और रीढ़ की हड्डी में आई प्रॉब्लम सहित कई बीमारियां अपने आप दूर हो जाती हैं। इससे आंखों की समस्या भी दूर होती है। इसके अलावा रेग्यूलर जल चढ़ाने से नेचर का बैलेंस भी बना रहता है क्योंकि यही जल, वाष्पित होकर सही समय पर बारिश में योगदान देता है।

प्रकाश रश्मियों को देखकर बढ़ती है एकाग्रता

अगर हम सूर्यदेव को जल चढ़ाने की पूरी क्रिया-विधि को ध्यान से देखें तो हमें कुछ बातें स्पष्ट होंगी। ताम्र पात्र में जल भरकर सूर्योदय के पश्चात सूर्य नमस्कार की विशिष्ट योग मुद्रा में जल की धार सिर से चार इंच ऊपर से गिराते हुए जल की धार में से ही सूर्य की प्रकाश रश्मियों को एकाग्रता से देखा जाता है। जिसे अर्घ्य कहा जाता है। जिससे हमारा मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। 

ग्रहों को करता है प्रभावित

अगर हम कुछ और गहराई में उतरें तो हमें पता चलेगा कि रंगों का ये विज्ञान ज्योतिष शास्त्र व रत्न विज्ञान के साथ कहीं अधिक जुड़ता है। रंगों के आधार पर ही रत्नों का चयन किया जाता है, जो अपने-अपने विशेष स्पेक्ट्रम और तरंग धैर्य के अनुसार विशेष ग्रहों को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। किसी भी ग्रह की निगेटिव एनर्जी को विशेष रंग के प्रयोग से परावर्तित या अपवर्तित किया जा सकता है।

(फोटो-ब्रेन रिमाइन्डर)

Web Title: Health Benefits of offering the Water to the Sun

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