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शुभ दीपावली: धन-दौलत तो बहुत मामूली बात है, अष्टलक्ष्मी की पूजा करने से मिलता है यह सब भी, जानें

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: October 24, 2019 07:34 IST

दीपावली के अवसर पर माता के अष्टलक्ष्मी रूपों की आराधना करने से कल्याण होगा। अष्टलक्ष्मी में आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, भाग्यलक्ष्मी, राजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी रूप आते हैं। 

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ठळक मुद्देदीपावली के अवसर पर माता के अष्टलक्ष्मी रूपों की आराधना करने से कल्याण होगा।अष्टलक्ष्मी में आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, भाग्यलक्ष्मी, राजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी रूप आते हैं। 

आमतौर धन, संपत्ति या दौलत को लक्ष्मी कहा जाता है और समझा जाता है कि माता लक्ष्मी इन्हें देने वाली हैं लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार लक्ष्मी के आठ स्वरूप है, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है।

लक्ष्मी के अंतर्गत केवल धन, रुपया-पैसा ही नहीं, बल्कि ज्ञान, साहस, अन्न और संतान आदि सुख भी आते हैं।

आम तौर कहा जाता है कि फलां व्यक्ति के पास विद्या रूपी धन है। इसका मतलब है कि उसके ऊपर माता विद्यालक्ष्मी की कृपा है। 

दीपावली के अवसर पर माता के अष्टलक्ष्मी रूपों की आराधना करने से कल्याण होगा। अष्टलक्ष्मी में आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, भाग्यलक्ष्मी, राजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी रूप आते हैं। 

आदिलक्ष्मी

देवी भागवत पुराण के अनुसार आदिलक्ष्मी ही आदिशक्ति हैं। कहा जाता है कि आदिशक्ति से ही त्रिशक्ति यानी महासरस्वती और महाकाली साकार हुईं।

धनलक्ष्मी

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु कुबेर के कर्जदार हो गए थे। देवी ने भगवान की ऋणमुक्ति के लिए ही धनलक्ष्मी रूप धारण किया था। भक्त आर्थिक तौर पर संपन्न होने के लिए माता धनलक्ष्मी की पूजा करते हैं।

धान्यलक्ष्मी

अन्न की देवी यानी माता अन्नपूर्णा को ही धान्यलक्ष्मी कहा जाता है। कहते हैं कि धन को खाया नहीं जा सकता, इसलिए मां के आशीर्वाद से व्यक्ति को अन्न की कमी नहीं होती। इसी के साथ धान्यलक्ष्मी माता निरोगी काया देने वाली देवी भी कही जाती हैं। हिंदू धर्म में निरोगी काया को पहला सुख कहा गया है।

राजलक्ष्मी

माता राजलक्ष्मी को गजलक्ष्मी भी कहा जाता है क्योंकि उनका वाहन हाथी है। जिस व्यक्ति पर माता प्रसन्न होती हैं उसे सत्ता सुख हासिल होता है।

संतानलक्ष्मी

संतान रूपी धन या सुख हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है लेकिन संतान सदाचारी और संस्कारी रहे, इसके लिए माता संतानलक्ष्मी की पूजा की जाती है।

वीरलक्ष्मी

वीरलक्ष्मी की पूजा करने से घर-परिवार को किसी खतरे की आशंका नहीं रहती और परिवार निडर बनता है।

विजयलक्ष्मी

विजयलक्ष्मी को जयलक्ष्मी भी कहा जाता है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, माता अपने भक्तों को उसके सही कार्यों में विजयी होने का आशीर्वाद देती हैं। 

विद्यालक्ष्मी

विद्यालक्ष्मी की आराधना करने से व्यक्ति को ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है और उसे पठन-पाठन वाले कार्यों में सफलता मिलती है। साथ ही समाज में सम्मान भी मिलता है।

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